वॉशिंगटन: जिन लोगों को उम्मीद है कि पेरिस समझौता धरती के पर्यावरण को बचाने में खास भूमिका अदा करेगा उन्हें इस खबर से झटका लग सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेरिस समझौते में इस दशक में वैश्विक तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य पाने के बावजूद वर्तमान की तुलना में आगे पर्यावरणीय घटनाएं होने की संभावना और ज्यादा है। यह दावा हाल ही में हुए एक शोध में किया गया है। हालांकि इस रिसर्च में कुछ अच्छी चीजें भी सामने आई हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेरिस समझौते में सभी देशों ने वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रखने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को लगभग पा लिया है। यह निश्चित तौर पर सूकून देने वाली बात है। हालांकि इस रिसर्च के मुताबिक मनमाफिक परिणाम मिलने की संभावना कम ही है। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में मौसम वैज्ञानिक और शोध रिपोर्ट के प्रमुख लेखक नोह डिफेनबॉफ ने कहा, ‘लक्ष्य हासिल करने के बावजूद हम ऐसी जलवायु में पहुंच जाएंगे, जिसमें पर्यावरणीय घटनाएं वर्तमान से भी ज्यादा अनोखी घटनाएं घटने की प्रबल संभावनाएं हैं।’
पत्रिका 'साइंस एडवांसेज' में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस समझौते का लक्ष्य हासिल करने पर धरती का क्षेत्रफल कम होने का अनुमान है, जिससे पर्यावरणीय घटनाओं की संभावना 3 गुना तक बढ़ सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी देश अगर वैश्विक तापमान वृद्धि को 2-3 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य रखते तो इससे यूरोप में रातें रिकॉर्ड 50 फीसदी और पूर्वी एशिया में 25 फीसदी गर्म होने की संभावना बढ़ जाती।