काराकस: वेनेजुएला में नेशनल कॉन्स्टिट्युएंट एसेम्बली (एएनसी) के लिए रविवार को हुआ मतदान हिंसक प्रदर्शन के कारण बाधित हुआ। इस विवादास्पद इकाई के लिए मतदान का निर्देश राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने दिया था, जिसे विपक्ष राष्ट्रपति द्वारा अपनी शक्तियों के विस्तार के लिए संविधान में संशोधन की कोशिश के तौर पर देखता है। उनका कहना है कि इससे देश में तानाशाही की स्थापना होगी। वहीं, राष्ट्रपति मादुरो इसे गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे तथा तकरीबन रोज प्रदर्शनों का सामना कर रहे तेल संपन्न वेनेजुएला में शांति बहाल करने के लिए आवश्यक कदम बताते हैं। (उ. कोरिया के ख़िलाफ़ अमेरिका, जापान, साउथ कोरिया हुए लामबंद, ये है हमले का प्लान)
राष्ट्रपति का कहना है कि उन्होंने इसी उद्देश्य के साथ देश के संविधान को फिर से लिखने के लिए एएनसी के लिए मतदान का आान किया। 'एफे' की रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख विपक्षी नेता हेनरिक कैप्रिल्स ने शनिवार रात से ही देशभर में शुरू हुए हिंसक प्रदर्शन में 14 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की। इस दौरान 400 से अधिक लोग घायल हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि वेनुएजेला के 1.95 करोड़ योग्य मतदाताओं में से सिर्फ नौ प्रतिशत ने रविवार को एएनसी के लिए वोट किया। मादुरो ने हालांकि इसे देश की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक बताया है, पर विपक्ष ने इस मतदान को मान्यता देने से इनकार कर दिया है।
एएनसी के लिए मतदान काराकस तथा अन्य शहरों में सरकार तथा नए संविधान की योजना के खिलाफ लगातार एक महीने के हिंसक प्रदर्शन के बाद हुए। विपक्ष ने मादुरो को पिछले साल भी एक जनमत संग्रह अभियान के जरिये सत्ता से हटाने की कोशिश की थी और राष्ट्रपति पर इस अभियान को बाधित करने का आरोप लगाया था। इस बीच, एक गैर-सरकारी संगठन फोरो पेनल वेनेजोलानो ने कहा कि 64 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने काराकस में एक यातायात पुलिस स्टेशन को आग के हवाले कर दिया। राजधानी में अलटामिरा स्क्वायर के पास सरकार के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शन के दौरान पुलिस के सात अधिकारी घायल हो गए। 'बीबीसी' की रिपोर्ट के अनुसार, इस चुनाव की अन्य लैटिन अमेरिकी देशों और यूरोपीय संघ व अमेरिका ने भी आलोचना की है। वेनेजुएला ने ऑर्गेनाइजेशन ऑफ अमेरिकन स्टेट्स (ओएएस) के सदस्य देशों अमेरिका, कनाडा तथा मेक्सिको द्वारा इस मतदान को मान्यता नहीं दिए जाने के बारे में कहे जाने के बाद ओएएस से खुद को अलग करने की बात कही है। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की दूत निक्की हेली ने इस मतदान को 'ढोंग' करार देते हुए कहा कि यह 'तानाशाही की ओर एक कदम' है।