न्यूयॉर्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिका की यात्रा के पहले दिन गुरुवार को कुल 8 बैठकें करने का कार्यक्रम है जिसमें अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ मुलाकात भी शामिल है। मोदी और कमला हैरिस की मुलाकात स्थानीय समयानुसान शाम 03:15 मिनट से 04:15 मिनट तक एक घंटे चलेगी। जिस आइजनहावर एग्जेक्यूटिव ऑफिस बिल्डिंग में दोनों नेतोओं की मुलाकात होगी, उसका एक शानदार इतिहास रहा है। कुल 17 सालों में बनकर तैयार हुई यह इमारत अमेरिका के इतिहास और वास्तुकला की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
1871 में शुरू हुआ था बिल्डिंग का निर्माण
इस इमारत के आर्किटेक्ट अल्फ्रेड मुलेट थे और इसकी डिजाइन द्वितीय फ्रांसीसी साम्राज्य के वास्तुकला स्टाइल की है। इस इमारत का निर्माण 1871 में शुरू हुआ था और यह 1888 में बनकर तैयार हुई थी। शुरू में इसे.स्टेट,वॉर और नेवी बिल्डिंग के तौर पर जाना जाता था। जब ये बिल्डिंग बनकर तैयार हुई थी तो अमेरिका का सबसे बड़ा दफ्तर थी। इस बिल्डिंग में 2 मील का कॉरिडोर है और इसके निर्माण में लकड़ी का कम से कम इस्तेमाल हुआ है ताकि यह आग से सुरक्षित रह सके।
कई पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों के दफ्तर रहे हैं
राष्ट्रपति बनने से पहले थियोडोर रूजवेल्ट, होवार्ड टाफ्ट, आइजनहावर, जॉनसन, फोर्ड, जार्ज डब्ल्यू बुश, सभी के इस बिल्डिंग में दफ्तर रहे हैं। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल भी एक जमाने में इस दफ्तर में आ चुके हैं। अभी इस बिल्डिंग में प्रेजिडेंट का एक्जीक्यूटिव ऑफिस, व्हाइट हाउस ऑफिस, उपराष्ट्रपति का दफ्तर, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल आदि हैं। 1957 में राष्ट्रपति आइजनहावर की एडवाइजरी कमिटी ने तय किया था कि इस बिल्डिंग को गिराकर इसकी जगह नई बिल्डिंग बनाई जाए, लेकिन जनता में जबरदस्त रिएक्शन हुआ और फैसला बदला गया।
बिल्डिंग के निर्माण में एक करोड़ डॉलर का खर्च आया
लेखक रसेल हिचकॉक ने व्यंग्य में इसे द्वितीय साम्राज्य का उदाहरण बताया था। 1988 में कांग्रेस ने एक कानून बनाया था जिससे कि बिल्डिंग के रखरखाव के लिए कोई भी गिफ्ट या दान दे सके। उस समय बिल्डिंग के निर्माण में एक करोड़ डॉलर का खर्च आया था। यह बिल्डिंग लगभग 15 एकड़ में फैली हुई है जो कि 11/12 फुटबॉल मैदान के बराबर है। इस बिल्डिंग में बेसमेंट के अलावा G + 5 फ्लोर हैं। बिल्डिंग में 553 कमरे, 900 कॉलम्न्स, 1314 आंतरिक दरवाजे, 1572 खिड़कियां और 65 सीढ़ियां हैं।