वाशिंगटन: भारत के मित्र एवं अमेरिका की हाउस फोरेन अफेयर्स कमेटी के अध्यक्ष एड रॉयस ने आज घोषणा की कि वह इस साल होने वाले चुनाव में दोबारा चयन के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं करेंगे। इस घोषणा के साथ ही रॉयस आठवें हाउस रिपब्लिकन अध्यक्ष बन गए हैं जिन्होंने मध्यावधि चुनाव से पहले सेवानिवृत्ति लेना चुना है। भारत एवं भारतीय अमेरिकियों की कांग्रेशनल कॉकस के संस्थापकों में से एक रॉयस ने कहा कि वह अपने कार्यकाल के शेष समय में अमेरिका के सामने मौजूद ‘‘तत्कालीन खतरों’’ पर ध्यान पर केंद्रित करेंगे। (एच-1बी वीजा धारकों को देश छोड़ने पर मजबूर नहीं किया जाएगा: ट्रंप प्रशासन )
उन्होंने कहा, ‘‘विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष के तौर पर अपने अंतिम वर्ष में मैं अपना पूरा ध्यान देश के सामने मौजूद तत्कालीन खतरों पर केंद्रित करना चाहता हूं जिनमें प्योंगयांग एवं तेहरान में निर्मम, भ्रष्ट एवं खतरनाक सत्ता, पश्चिमी लोकतंत्रों को नुकसान पहुंचाने की व्लादिमीर पुतिन की सूचना को हथियार की तरह इस्तेमाल करने के प्रयास और अफ्रीका एवं मध्य एशिया में बढ़ते आतंकवादी खतरे शामिल हैं।’’ रॉयस ने कहा, ‘‘इसे दिमाग में रखकर और अपनी पत्नी मैरी के सहयोग से मैंने नवंबर में पुन: चयन के लिए उम्मीदवारी पेश नहीं करने का फैसला किया है।’’
रॉयस को वर्ष 1992 में कैलिफोर्निया के 39वें कांग्रेशनल जिले से पहली बार कांग्रेस में चुना गया था। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत समर्थक रहे हैं और उन्होंने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में भी अहम भूमिका निभाई थी। रॉयस भारत एवं अमेरिका के संबंधों और कांग्रेस में भारतीय अमेरिकियों की मजबूत आवाजों में से एक रहे हैं। वह भारत में एनजीओ पर प्रतिबंध और धार्मिक स्वतंत्रता के मामले उठाते रहे हैं। रॉयस ने पाकिस्तान में आतंकवादियों की पनाहगाह का मसला कांग्रेस में कई बार उठाया है।