वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान में पुस्तकालय के लिए धन देने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मजाक उड़ाते हुए कहा है कि युद्धग्रस्त देश में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। ट्रंप ने देश की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने को लेकर भारत और अन्य देशों की आलोचना की। वहीं, भारत ने ट्रंप ने इस बयान को खारिज कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को कहा है कि अफगानिस्तान को आगे ले जाने में विकास संबंधी मदद एक बड़ी भूमिका निभा सकती है। आधिकारिक सूत्रों ने साफ कहा कि अफगानिस्तान में लोगों की जरूरत के हिसाब से भारत कई बड़ी ढांचागत परियोजनाएं और सामुदायिक विकास कार्यक्रम चला रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोग से देश को आर्थिक तौर पर सशक्त और स्थिर बनाने में मदद मिलेगी।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार को वर्ष की अपनी पहली कैबिनेट बैठक में विदेशों में अमेरिकी निवेश कम करने पर जोर देने के अपने रुख को सही ठहराया और भारत, रूस, पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों से अफगानिस्तान की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने को कहा। ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी का उदाहरण देकर कहा कि विश्व के नेता अपने योगदान का बखान कर रहे हैं जबकि उनका योगदान अमेरिका की ओर से खर्च किए गए ‘‘अरबों डॉलर’’ के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता। अमेरिका के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने मित्रवत संबंधों का जिक्र किया लेकिन उन्होंने अफगानिस्तान में पुस्कालय के लिए भारत के धन मुहैया कराने की आलोचना की। यह अस्पष्ट है कि ट्रंप किस ‘पुस्कालय’ परियोजना का जिक्र कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि भारत युद्धपीड़ित अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं आपको मेरे, भारत और प्रधानमंत्री मोदी के साथ अच्छे तालमेल का उदाहरण दे सकता हूं, लेकिन वह लगातार मुझे बता रहे हैं कि उन्होंने अफगानिस्तान में पुस्तकालय बनवाया। पुस्कालय! इतना तो हम (अफगानिस्तान में) पांच घंटे में खर्च कर देते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘और वह (मोदी) मुझे बताते हैं। वह बहुत समझदार हैं। हमें कहना चाहिए कि अरे, पुस्तकालय के लिए धन्यवाद, लेकिन मुझे यह समझ नहीं आता कि अफगानिस्तान में कौन इसका इस्तेमाल कर रहा है? यह ऐसी कई बातों में से एक बात है। मुझे फायदा उठाया जाना पसंद नहीं है।’’
ट्रंप ने कहा, ‘‘(मेरे) प्रधानमंत्री मोदी के साथ अच्छे संबंध हैं। वह बहुत अच्छे इंसान है और उन्होंने शानदार काम किया है। वह देश को साथ लेकर आए हैं।’’ उन्होंने अफगानिस्तान के शांति प्रयासों में अमेरिका और अन्य देशों द्वारा उठाए जाने वाले खर्चों की तुलना की। ट्रंप ने कहा कि ‘‘बहुत धनी देश’’ अपने बलों की सहायता के लिए अमेरिका का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोई देश इराक के लिए हमें 200 जवान भेजता है या सीरिया या अफगानिस्तान के लिए कोई बड़ा देश 100 जवान भेजता है और फिर वे मुझे 100 बार बताते हैं, ’अरे, हम आपको अपने जवान भेजते हैं, हम आपको अपने जवान भेजते हैं।’’
ट्रंप ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘वहां (अफगानिस्तान में) रूस (तालिबान के साथ लड़ाई के लिए) क्यों नहीं है? वहां भारत क्यों नहीं है? पाकिस्तान वहां क्यों नहीं है? हम (अमेरिका) वहां क्यों है? हम 6000 मील दूर है, लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता। हम हमारे लोगों की मदद करना चाहते हैं। हम अन्य देशों की मदद करना चाहते हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा संबंधी भूमिका निभाने वाला है, ट्रंप ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत को अफगानिस्तान में शामिल होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘रूस सोवियत संघ हुआ करता था। अफगानिस्तान ने उसे रूस बनाया, क्योंकि वे अफगानिस्तान में लड़ते हुए दिवालिया हो गए।’’ ट्रंप ने अधिक जानकारी नहीं देते हुए कहा, ‘‘हम (अफगानिस्तान में) कुछ ऐसा करेंगे, जो सही हो। हम तालिबान से बात कर रहे हैं। हम अलग अलग लोगों से बात कर रहे हैं।’’