वॉशिंगटन: ईरान द्वारा अमेरिका का ड्रोन मार गिराए जाने के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सैन्य कार्रवाई का आदेश दे दिया था। ईरान पर मिसाइलें बरसाने के लिए अमेरिका के फाइटर जेट भी आगे बढ़ रहे थे लेकिन लॉन्चिंग से पहले ही ट्रंप ने अपना आदेश वापस ले लिया। अंग्रेजी अखबार मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि सुरक्षा अधिकारियों से इस मसले पर बातचीत के बाद ट्रंप ने यह आदेश दिया था, लेकिन बाद में वह इससे पीछे हट गए।
पोम्पियो और बोल्टन की सलाह को किया दरकिनार
इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ट्रंप ने यह आदेश वॉइट हाउस में बड़े सुरक्षा अधिकारियों के साथ की गई गहन चर्चा के बाद दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और जॉन बोल्टन की सलाह को नजरअंदाज करते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तब तक विमान ईरान के रडार और मिसाइल बैटरी ठिकानों पर हमला करन के लिए बढ़ चुके थे। यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि ट्रंप ने अपने आदेश को वापस क्यों लिया। आपको बता दें कि ईरान ने गुरुवार को अमेरिका के एक जासूसी ड्रोन को मार गिराया था, जिसके बाद खाड़ी में भयंकर तनाव है।
खाड़ी में गहराता जा रहा है संकट
खाड़ी में संकट लगातार गहराता जा रहा है और माना जा रहा है कि यहां कभी भी युद्ध छिड़ सकता है। अमेरिकी ड्रोन के मार गिराए जाने की घटना के बाद ट्रंप ने कहा था, ‘यह ड्रोन स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर था। हमारे पास यह सभी तथ्यों के साथ दर्ज है न कि हम सिर्फ बातें बना रहे हैं और उन्होंने बड़ी गलती की है।’ उन्होंने रक्षा विभाग द्वारा ड्रोन के मार गिराए जाने का दावा करने के बाद ही ट्वीट किया था, ‘ईरान ने बड़ी गलती की।’ जब उनसे पूछा गया कि वह ईरान की कथित कार्रवाई का क्या जवाब देंगे तो उन्होंने कहा, ‘आप को इसकी जानकारी होगी।’
रूस भी ईरान का समर्थन करते हुए मामले में कूदा
अमेरिका की ईरान को धमकी के बाद अब रूस भी इस मामले में कूद पड़ा है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका को आगाह किया है कि यदि वह ईरान पर हमला करता है तो इससे भारी तबाही मचेगी। रूस और ईरान में अच्छी दोस्ती है और यदि अमेरिका हमला करता है तो स्थिति गंभीर हो सकती है। पुतिन ने चेतावनी के अंदाज में कहा, 'अमेरिका ने कहा है कि वह फोर्स के इस्तेमाल से इनकार नहीं कर सकता। यह इलाके में तबाही लाएगा। इससे न केवल हिंसा बढ़ेगी बल्कि शरणार्थियों की संख्या में भी भारी इजाफा होगा।'