न्यूयॉर्क: भारत और एशिया मामलों पर जाने-माने विशेषज्ञ ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सधे हुए कारोबारी हैं जो चीजों को पूरा करने के लिए पुरानी परंपराएं तोड़ने के इच्छुक हैं।
एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के साथ भारत के लिए सीनियर फेलो मार्शल बाउटन ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘ट्रंप प्रशासन माल को निर्यात करने के लिए बाजार चाहता है और भारत निवेश चाहता है। वहां कहीं एक सौदा है। ये दोनों नेता सधे हुए कारोबारी हैं और ये दोनों चीजों को पूरा करने के लिए पुरानी परिपाटी और पुरानी नीति को तोड़ना चाहते हैं।’ उन्होंने सुझााव दिया कि दोनों नेताओं को अगले सप्ताह उनकी पहली बैठक के दौरान द्विपक्षीय आर्थिक संबंध बदलने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
द शिकागो काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स के रिटायर्ड अध्यक्ष बाउटन ने दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग के मुकाबले सबसे कमजोर बताया। बाउटन ने कहा कि अगर मोदी और ट्रंप अमेरिका-भारत संबंधों के बारे में बड़ा सोचना चाहते हैं तो उन्हें इस तरीके से आर्थिक संबंधों में बदलाव लाने के बारे में सोचना चाहिए जैसे जॉर्ज बुश के तहत असैन्य परमाणु समझाौते और बराक ओबामा के तहत जलवायु समझाौते के साथ कूटनीतिक संबंध मजबूत हुए थे।
भारत और एशिया मामलों के जानकार बाउटन ने कहा कि भारत के साथ अब अमेरिका का व्यापार 100 अरब डॉलर तक बढ़ गया है। हालांकि पिछले 15 वर्षों में भारत का निर्यात तेजी से बढ़ा है लेकिन अमेरिका में भारतीय माल का निर्यात 2016 में कुल अमेरिकी निर्यात का केवल 2.1 फीसदी ही रहा। मोदी की अमेरिका यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब आव्रजन सुधार पर ट्रंप प्रशासन के ध्यान केंद्रित करने के बीच एच1बी वीजा को लेकर भारतीय IT पेशेवरों और कंपनियों के बीच चिंताएं बढ़ रही है। हालांकि बाउटन ने कहा कि एच1बी वीजा मोदी-ट्रंप की बैठक के लिए प्राथमिकताओं में शायद ही शामिल होगा।