वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल पेरिस जलवायु समझौते से हटने के फैसले के लिए एक बार फिर भारत और चीन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने संधि को अनुचित बताते हुए कहा कि इसमें अमेरिका पर सख्त वित्तीय व आर्थिक बोझ लादा गया है, जो वॉशिंगटन को इस समझौते से सबसे ज्यादा लाभान्वित होने वाले देशों को चुकाना है। उन्होंने भारत और चीन को निशाना बनाया और कहा कि इन दोनों देशों को पेरिस समझौते से सबसे ज्यादा फायदा हुआ, जबकि अमेरिका के लिए यह संधि आफत की तरह है।
ट्रंप ने जून में इस ऐतिहासिक संधि से खुद को अलग करने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि पेरिस समझौते से उनके देश को हजारों अरब डॉलर की कीमत चुकानी पड़ती, जिससे नौकरियां जातीं, तेल, गैस कोयला और विनिर्माण उद्योग प्रभावित होते। हालांकि उन्होंने कहा कि वह अमेरिका के हित में बेहतर समझौता करने को तैयार हैं, अथवा शर्तो में सुधार करने पर संधि में फिर से शामिल हो सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को कंजर्वेटिव पॉलिटिकल ऐक्शन कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हम पेरिस संधि से बाहर हो गए, जो एक आफत साबित होती।’
इससे पहले भी कई मौकों पर ट्रंप कह चुके हैं कि वह पेरिस समझौते में तभी शामिल होंगे जब इसमें बदलाव किया जाएगा। ट्रंप ने कहा था, ‘अगर कोई कहता है कि पेरिस समझौते को स्वीकार करो तो इसे बिल्कुल अलग समझौता होना होगा क्योंकि हमने बेहद ही खतरनाक समझौता किया था।’ जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पेरिस समझौते पर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हस्तक्षर किए थे लेकिन जून 2017 में ट्रंप ने इस समझौते से अलग होने की घोषणा कर सारी दुनिया को हैरत में डाल दिया था।