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पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक की अपने देश को नसीहत, कहा- चीन की कठपुतली मत बनो

अमेरिका में इस्लामाबाद के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा है कि पाकिस्तान को ‘लड़ाकू देश’ बनने के बजाय ‘कारोबारी देश’ बनना चाहिए और...

Reported by: Bhasha
Published : April 15, 2018 17:28 IST
Don't be warrior nation or China pawn, says ex-envoy Haqqani to Pak | AP Photo
Don't be warrior nation or China pawn, says ex-envoy Haqqani to Pak | AP Photo

नई दिल्ली: अमेरिका में इस्लामाबाद के राजदूत रह चुके हुसैन हक्कानी ने कहा है कि पाकिस्तान को ‘लड़ाकू देश’ बनने के बजाय ‘कारोबारी देश’ बनना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि वह चीन की कठपुतली न बने। हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान को इस बारे में विचार करने की आवश्यकता है कि आतंकवाद के संदिग्ध हाफिज सईद का समर्थन करना या फिर अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता और सम्मान हासिल करने में से क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है। पहले से ही मजबूत चीन-पाक संबंधों के और मजबूत होने के बीच हक्कानी ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान को चीन पर निर्भर रहने की तरफ नहीं जाना चाहिए और ‘चीन की कठपुतली’ बनने से दूर रहना चाहिए।

इस्लामाबाद को एक बड़ी शक्ति के साथ जुड़ने के खतरों के प्रति आगाह करते हुए उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था’ बनने की आवश्यकता है। हक्कानी 2008 से 2011 तक अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत थे। पिछले सप्ताह अपनी नई किताब ‘रीइमेजिनिंग पाकिस्तान: ट्रांसफॉर्मिंग ए डिस्फंक्शनल न्यूक्लियर स्टेट’ के विमोचन के लिए भारत आए हक्कानी ने कहा कि इस्लामाबाद को आर्थिक क्षेत्र सहित ‘अपनी समूची दिशा पर पुनर्विचार’ की आवश्यकता है। पूर्व राजनियक एवं ‘पाकिस्तान बिटवीन मॉस्क एंड मिलिटरी’ और ‘इंडिया वर्सेस पाकिस्तान: व्हाई कान्ट वी जस्ट बी फ्रेंड्स’ के लेखक ने कहा कि पाकिस्तान को ‘लड़ाकू देश बनने की जगह कारोबारी देश’ बनना चाहिए और भू रणनीति की जगह भू आर्थिक की तरफ सोचना शुरू करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘खुद को किसी एक बड़ी शक्ति या दूसरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने की अनुमति देकर अपनी रणनीतिक स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश ने पाकिस्तान को वर्तमान स्थिति में ला खड़ा किया है और हम यह खेल खेलना जारी रखते हैं तो भविष्य में परिणाम कोई बहुत भिन्न नहीं होने जा रहा है।’ उनकी टिप्पणी का काफी महत्व है क्योंकि जनवरी में अमेरिका ने यह आरोप लगाते हुए पाकिस्तान को दी जाने वाली 1.15 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता रोक दी थी कि वह अफगान तालिबान और अफगान गुरिल्ला समूह हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी समूहों को शरण दे रहा है। 

यह पूछे जाने पर कि क्या आतंक के खिलाफ अमेरिका का कड़ा रुख इस्लामाबाद को बीजिंग के साथ एक मजबूत सैन्य गठबंधन की ओर ले जाएगा, हक्कानी ने कहा कि जितना अमेरिका और भारत करीब आएंगे, उतना ही पाकिस्तान चीन के साथ अपने संबंधों को मजूबत करने की कोशिश करेगा। कश्मीर के मुद्दे पर हक्कानी ने कहा, ‘यह एक हकीकत है कि कश्मीर समस्या का समाधान 70 साल में नहीं हुआ है। यदि पाकिस्तान भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में बढ़ने से पहले कश्मीर समस्या के समाधान पर जोर देता है तो 70 साल और इंतजार करना पड़ेगा।’ हक्कानी को अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत पद से मेमोगेट विवाद के चलते हटा दिया गया था जो अलकायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद पाकिस्तान में असैन्य सरकार पर सेना के कब्जे को टालने के लिए ज्ञापन (मेमोरैंडम) देकर ओबामा प्रशासन से मदद मांगने से जुड़ा था।

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