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Coronavirus में अब तक अज्ञात रहे जीन की पहचान की गई

अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स कोव-2 (कोविड-19 बीमारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस) के जीन के भीतर मौजूद जिस जीन की पहचान की है उसे ‘ओआरएफ3डी’ नाम दिया गया है जिसमें प्रोटीन को उम्मीद से अधिक कूटबद्ध करने (कार्यप्रणाली निश्चित करने की जानकारी) की क्षमता है।

Written by: Bhasha
Published on: November 11, 2020 13:57 IST
Coronavirus unknown genes identified । Coronavirus में अब तक अज्ञात रहे जीन की पहचान की गई- India TV Hindi
Image Source : FILE Coronavirus में अब तक अज्ञात रहे जीन की पहचान की गई

न्यूयॉर्क. अनुसंधानकर्ताओं ने कोरोना वायरस के अब तक अज्ञात रहे जीन की पहचान की है जो संभवत: उसे जैविक प्रतिरोध और महामारी फैलाने की क्षमता प्रदान करता है और इस सफलता के बाद वायरस के खिलाफ इलाज पद्धति तलाश करने में मदद मिलने की उम्मीद है। अमेरिकन म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के वैज्ञानिकों सहित अनुसंधानकर्ताओं की टीम के मुताबिक अब तक कोरोना वायरस के जीनोम में शामिल 15 जीन (आनुवांशिकी गुणों को संग्रहित रखने के लिए जिम्मेदार हिस्सा)की पहचान की जा चुकी है जिसका प्रभावी असर इस वायरस के खिलाफ टीके या दवा को विकसित करने पर पड़ सकता है।

नवीनतम अध्ययन को जर्नल ई-लाइफ में प्रकाशित किया गया है जिसमें वैज्ञानिकों ने वायरस के जीन के भीतर जीन होने का उल्लेख किया है और माना जा रहा है कि यह संक्रमित के शरीर में वायरस की प्रतिकृति बनाने में अहम भूमिका निभाता है। अमेरिकन म्युजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में कार्यरत और अनुसंधान पत्र के प्रमुख लेखक चेस नेलसन ने कहा, ‘‘जीन के भीतर मौजूद यह जीन कोरोना वायरस का एक हथियार हो सकता है जो संभवत: वायरस को अपनी प्रतिकृति बनाने में मदद करता हो और संक्रमित के प्रतरोधक क्षमता को निशाना बनाता हो।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जीन के भीतर जीन की मौजूदगी और उसके कार्य करने के तरीके से कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के नए तरीके के लिए रास्ते खुल सकते हैं।’’

अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स कोव-2 (कोविड-19 बीमारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस) के जीन के भीतर मौजूद जिस जीन की पहचान की है उसे ‘ओआरएफ3डी’ नाम दिया गया है जिसमें प्रोटीन को उम्मीद से अधिक कूटबद्ध करने (कार्यप्रणाली निश्चित करने की जानकारी) की क्षमता है। उन्होंने बताया कि ओआरएफ3डी पूर्व में खोज किए गए पैंगोलिन कोरोना वायरस में भी मौजूद थे और जो संकेत करता है कि सार्स-कोवि़ड और संबंधित वायरस के विकास के दौरान यह जीन विकास के क्रम से गुजरा।

अध्ययन के मुताबिक ओआरएफ3डी की स्वतंत्र पहचान की गई और पाया गया कि कोविड-19 मरीज में बीमारी से लड़ने के लिए बने एंटीबॉडी के खिलाफ यह मजबूती से कार्य करता है। इससे यह प्रदर्शित हुआ कि नए जीन से मानव में संक्रमण के दौरान नए तरह का प्रोटीन बना। नेल्सन ने कहा, ‘‘हम अब भी इसकी कार्यप्रणाली या चिकित्सकीय महत्व को नहीं जानते हैं लेकिन पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि इस जीन की शायद ही टी- कोशिका (संक्रमण से लड़ने वाली कोशिका) पहचान कर पाती है ताकि मुकाबला करने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन कर सके और यह पता लगाना है कि आखिर कैसे जीन स्वयं को बचाता है।’’

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