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न्यूक्लियर लॉन्चपैड पर पहुंचा Coronavirus, अमेरिक-फ्रांस के कमांड पर उठ रहे सवाल

अमेरिका के सामने ये वायरस सिर्फ़ ज़मीन पर ही नहीं, समंदर में भी चैलेंज बन चुका है। वहीं दुनिया की दो न्यूक्लियर पावर के लॉन्च पैड कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। ये ऐसे लॉन्च पैड हैं जो हमेशा न्यूक्लियर वॉर के लिये तैयार रहते हैं।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : April 20, 2020 14:01 IST
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न्यूक्लियर लॉन्चपैड पर पहुंचा Coronavirus, अमेरिक-फ्रांस के कमांड पर उठ रहे सवाल

नई दिल्ली: कोरोना वायरस हर रोज़ अमेरिका में दो हज़ार से ज्यादा लोगों की जान ले रहा है और हर रोज़ क़रीब 25 से 30 हज़ार नये मरीज़ आ रहे हैं। अमेरिका के सामने ये वायरस सिर्फ़ ज़मीन पर ही नहीं, समंदर में भी चैलेंज बन चुका है। वहीं दुनिया की दो न्यूक्लियर पावर के लॉन्च पैड कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। ये ऐसे लॉन्च पैड हैं जो हमेशा न्यूक्लियर वॉर के लिये तैयार रहते हैं। इन दोनों लॉन्च पैड पर इतने एटम बम हैं जितने भारत और पाकिस्तान के पास मिलाकर भी नहीं हैं। यहां एटम बम को लॉन्च करने वाली मशीनें भी हैं।

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कोरोना पॉजिटिव होने के बाद इनकी तमाम सिस्टम और कमांड पर सवाल उठने लगे हैं। ये हैं दुनिया के दो न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरिय। पहला अमेरिकी नौसेना का USS थियोडोर रूज़वेल्ट है जिसपर क़रीब 600 नौसैनिक कोरोना पॉज़िटिव हैं और दूसरा फ्रांस का इकलौता एयरक्राफ्ट कैरियर चार्ल्स डे गॉल है। इस कैरियर पर एक हज़ार से ज़्यादा नौसैनिक कोरोना पॉज़िटिव हैं।

कोरोना वायरस इस वक़्त अमेरिका और फ्रांस की मिलिट्री में घुसपैठ कर चुका है और अब वो इन्हे अंदर ही अंदर खाया जा रहा है। अमेरिका और फ्रांस इस वक़्त उन टॉप देशों में शामिल हैं जहां कोरोना के सबसे ज़्यादा केस हैं और जहां कोरोना से सबसे ज़्यादा मौत हुई हैं। अमेरिका में साढ़े 7 लाख से ज़्यादा कोरोना केस हैं और 40 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं फ्रांस में डेढ़ लाख से ज़्यादा कोरोना केस हैं और 20 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी है।

अमेरिका और फ्रांस में कोरोना की वजह से हालात बहुत ख़राब हो चुके हैं। वो ना ज़मीन सिर्फ़ पर अपने नागरिकों को कोरोना से बचा पा रहे हैं और ना ही सैकड़ों किलोमीटर समंदर के बीच। इसे मिलिट्री सिस्टम का डाउनफॉल कहा जाएगा क्योंकि सवाल है कि आख़िर कोरोना वायरस तैरते हुए एयरक्राफ्ट कैरियर पर कैसे पहुंच गया।

अमेरिका में एयरक्राफ्ट कैरियर USS रूज़वेल्ट में कोरोना वायरस के पहुंच ने पूरे अमेरिकी राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। 24 मार्च को USS रूज़वेल्ट पर तीन कोरोना केस की पुष्टि हुई थी। अभी 600 नौसैनिक कोरोना पॉज़िटिव हैं। यानी कैरियर का दस फ़ीसद से ज़्यादा स्टाफ संक्रमित है। एक नौसैनिक की मौत हो चुकी है।

इस संक्रमण को लेकर इस कैरियर के कैप्टन ब्रेट क्रोज़ियर को बर्ख़ास्त कर दिया गया। उन पर CHAIN OF COMMAND तोड़ने का इल्ज़ाम लगा था। ब्रेट क्रोज़ियर लगातार अपने नौसैनिकों को कोरोना से बचाने के लिये हाई कमांड से मांग कर रह थे लेकिन अमेरिकी नौसेना में इसकी अनदेखी हो रही थी। उनको हटाए जाने के बाद नौसेना के कार्यवाहक सचिव थॉमस मोडली को भी इस्तीफ़ा देना पड़ा। इस एयरक्राफ्ट कैरियर को गुआम में खड़ा किया गया है और अब इसे पूरी तरह सैनेटाइज़ किया जा रहा है।

फ्रांस के एयरक्राफ्ट कैरियर चार्ल्स डे गॉल को इसके बेस टूलोन पर ले आया गया है और इस जहाज़ को पूरी तरह सैनेटाइज़ किया जा रहा है। एक तरह से फ्रांस की नौसेना इस वक़त बिना एयरक्राफ्ट कैरियर के ऑपरेट कर रही है। चार्ल्स डे गॉल तीन महीने के मिशन पर था। 42 हज़ार टन के इस फ्रांसीसी एयरक्राफ्ट कैरियर पर क़रीब ढाई हज़ार नौसैनिक काम करते हैं। इस कैरियर से राफेल जैसे लड़ाकू विमान भरते हैं। अभी तक पता नहीं चल पाया है कि आख़िर चार्ल्स डे गॉल कैसे कोरोना के संपर्क में आया।

यह एयरक्राफ्ट कैरियर 16 मार्च को फ्रांस से निकला था और तबसे बीच समंदर में ही ऑपरेट कर रहा था। 7 मई को पहली बार इस जहाज़ में कोरोना केस की पुष्टि हुई। जब तक इस कैरियर को पूरी तरह सैनेटाइज़ नहीं कर लिया जाएगा तब तक चार्ल्स डे गॉल में ऑपरेशन बंद रहेगा।

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