वाशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने पाकिस्तान में एक प्रांतीय सरकार द्वारा जानलेवा कोरोना वायरस फैलाने के लिए हाशिये पर पड़े कबायली अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने की रिपोर्टों पर चिंता जताई है। USCIRF ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में लॉकडाउन (बंद) के तहत हज़ारा समुदाय के दो इलाके- हज़ारा टाउन और मारी आबाद को पूरी तरह से सील कर दिया गया है।
बयान में कहा गया है कि सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को हज़ारा बहुल इलाकों में जाने से रोक दिया है और हज़ारा पुलिस कर्मियों को इस संदेह में कथित रूप से जबरन छुट्टी पर भेज दिया है कि उन्हें अपने रिश्तेदारों से यह बीमारी लग सकती है। आयोग की आयुक्त अनुरीमा भार्गव ने कहा, “हम इस बात से चिंतित हैं कि बलूचिस्तान में सरकारी अधिकारी पहले से उत्पीड़ित और हाशिये पर पड़े हज़ारा शिया समुदाय को इस स्वास्थ्य संकट के लिए कुर्बानी का बकरा बना रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि यह विषाणु, धर्म, जाति या सीमा नहीं पहचानता है और इसका इस्तेमाल किसी एक समुदाय के साथ भेदभाव के लिए नहीं किया जाना चाहिए। बयान में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर लोगों ने कोरोना वायरस को “शिया वायरस” बताया। उन्हें इस बात की आशंका है कि ईरान से लौट रहे ज़ायरीन के जरिए यह फैला है। आयोग के आयुक्त जॉनी मूर ने कहा, “हम पाकिस्तान के हज़ारा शिया समुदाय को लेकर काफी फिक्रमंद हैं।”
उन्होंने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया कि वह सभी लोगों को बचाने की दिशा में काम करे भले ही उनका मजहब या आस्था कुछ भी हो और सुनिश्चित करे कि सभी लोगों को समान रूप से इलाज मिले। पाकिस्तान में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद बुधवार को 2000 के पार चली गई। मुल्क में इस बीमारी ने 26 लोगों की जान ले ली है।