लॉस एंजिलिस: कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर के लोग चीन की ओर हीनता की नजर से देखने लगे हैं और टि्वटर पर चीन तथा उसके लोगों पर की जाने वाली घृणा टिप्पणियों में 900 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। टेक स्टार्टअप इजराइल स्थित कंपनी एल1जीएचटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘लोग ज्यादा से ज्यादा समय सोशल नेटवर्क, संचार ऐप्स, चैट रूम्स और गेमिंग सेवा पर बिता रहे हैं तथा इन प्लेटफॉर्म्स पर नफरत, गाली गलौज और छींटाकशीं करने वाली टिप्पणियां बढ़ गई हैं।’’ दरअसल, चीन कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का केंद्र बनकर सामने आया। चीन के वुहान शहर में दिसंबर में सबसे पहले कोविड-19 के मामले सामने आए थे।
सोशल नेटवर्क्स पर हानिकारक सामग्री का पता लगाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करने वाली कंपनी ने कहा, ‘‘हमारे आंकड़ों के अनुसार, ज्यादा नफरत और गाली गलौज वाली टिप्पणियां चीन और उसकी आबादी को लेकर की गई। साथ ही दुनिया के अन्य हिस्सों में एशियाई मूल के लोगों को भी निशाना बनाया गया।’’ कंपनी के अध्ययन में पाया गया, ‘‘नफरत भरे ट्वीट्स में कोरोना वायरस से संक्रमित एशियाई लोगों के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है तथा विषाणु फैलाने के लिए एशियाई मूल के लोगों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, कई लोग नस्लवादी हैशटैग जैसे कि कुंगफ्लू, चाइनीज वायरस और कम्युनिस्ट वायरस का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ मीडिया संगठन भी एशियाई लोगों के खिलाफ गुस्सा भड़काने का काम कर रहे हैं। इसमें स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया के वीडियो ‘चीन ने जानबूझकर दुनिया पर कोरोना वायरस थोपा’ का जिक्र किया गया है। इस वीडियो पर पांच हजार से ज्यादा टिप्पणियां आ चुकी हैं और उनमें से ज्यादातर नफरत भरी हैं।
यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका के कई मानवाधिकार समूहों, कार्यकर्ताओं और नेताओं ने एशियाई अमेरिकियों को निशाना बनाते हुए कई नस्लवादी घटनाओं में वृद्धि को लेकर चिंता व्यक्त की है। आलोचकों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लगातार कोविड-19 वायरस को ‘‘चाइनीज वायरस’’ कहने से भी विदेशी लोगों के प्रति नफरत बढ़ी है।