वॉशिंगटन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सरकार के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फॉसी के बीच शुक्रवार को असाधारण विवाद देखने को मिला। दोनों इस विषय पर सार्वजनिक रूप से विवाद करते नजर आए कि क्या मलेरिया की दवा कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो सकती है। दोनों के बीच झगड़े का यह वाक्या प्रकोप को लेकर व्हाइट हाउस प्रेस बीफिंग के दौरान राष्ट्रीय चैनल पर देखने को मिला। इस मसले पर जवाब पाने के लिए बेताब अमेरिकियों को तथ्य बताने वाले वैज्ञानिक और सहज ज्ञान पर चलने वाले राष्ट्रपति से विरोधाभासी बयान सुनने को मिले।
फॉसी ने ट्रंप की बात को नकारा
दरअसल, रिपोर्टर्स ने पहले फॉसी और फिर ट्रंप से पूछा कि क्या मलेरिया की दवा हाइड्रोक्लोरोक्विन कोविड-19 को रोकने में इस्तेमाल हो सकती है। इससे एक दिन पहले जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में फॉसी ट्रंप के साथ नहीं थे, ट्रंप ने इस दवा की तरफ ध्यान देने को कहा था। शुक्रवार को फॉसी ने रिपोर्टर के सवाल के जवाब में कहा, ‘नहीं। इसका जवाब न है। आप जिस सूचना का संदर्भ दे रहे हैं वह सुनी सुनाई बात पर आधारित है। यह नियंत्रित क्लिनिकल परीक्षण में नहीं किया गया इसलिए आप इसके बारे में निर्णायक बयान नहीं दे सकते हैं।’
अपनी बात पर अड़े रहे ट्रंप
उन्होंने विस्तार से बताया कि फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन आपात इस्तेमाल के लिए दवा उपलब्ध कराने के तरीके तलाश रही है लेकिन अभी नतीजे नहीं मिले हैं। वर्तमान में कोविड-19 के इलाज के लिए कोई दवा विशेष रूप से स्वीकृत नहीं की गई है, लेकिन ट्रंप अपनी बात पर अड़े रहे। ट्रंप ने कहा कि वह इस धारणा से सहमत नहीं कि कोरोना वायरस बीमारी के लिए कोई जादुई दवा नहीं है। उन्होंने फॉसी को सीधे चुनौती न देते हुए कहा, ‘दवा हो भी सकती है और नहीं भी। हमें देखना होगा।’ उन्होंने मलेरिया की दवा का संदर्भ देते हुए कहा, ‘मैं बहुत सोच-विचार किए बिना कह रहा हूं कि मुझे यह दवा कारगर लगती है।’