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मेडिकल आपूर्ति की जमाखोरी के बीच चीन ने धमकाया इसलिए WHO ने नहीं दी कोरोना की चेतावनी, CIA के पास हैं सबूत

कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है। अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि चीन के डराने-धमकाने की वजह से ही डब्लूएचओ ने वक़्त रहते दुनिया के देशों के लिए कोरोना वायरस की चेतावनी जारी नहीं की थी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: May 13, 2020 9:37 IST
CIA Believes China Tried to Prevent WHO from Declaring Coronavirus Global Health Emergency- India TV Hindi
Image Source : AP CIA Believes China Tried to Prevent WHO from Declaring Coronavirus Global Health Emergency

न्यूयॉर्क: कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है। अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि चीन के डराने-धमकाने की वजह से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने वक़्त रहते दुनिया के देशों के लिए कोरोना वायरस की चेतावनी जारी नहीं की थी।

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न्यूज़वीक के अनुसार, सीआईए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने डब्लूएचओ को धमकी दी कि यदि संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया तो वो उसे कोरोना संक्रमण की जांच में शामिल नहीं करेगा।

यह कथित देरी जनवरी में एक ऐसे महत्वपूर्ण समय पर आई जब यह वायरस दुनिया भर में फैल रहा था और चीन कोरोना संक्रमण फैलने की स्थिति के लिए पीपीई, मास्क और अन्य मेडिकल सामनों की जमाखोरी करने मे लगा था।

अपनी एक जांच रिपोर्ट में न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया है कि कोरोना संक्रमण ख़त्म होने के बाद भी चीन के पास 2 करोड़ मास्क मौजूद हैं जिन्हें वो अन्य देशों को ऊंचे दामों पर बेच रहा है। न्यूज़वीक के हाथ सीआईए की एक जांच रिपोर्ट लगी है। इस रिपोर्ट का नाम 'UN-China: WHO Mindful But Not Beholden to China' है और नाम न बताने कि शर्त दो सीआईए अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को कन्फर्म किया है।

यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब पिछले साल चीन के वुहान में उत्पन्न हुए इस महामारी के कारण 80,000 से अधिक अमेरिकियों की मौत हो गई चुकी है। इस खुलासे के बाद वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव और बढ़ने की संभावना है।

सिर्फ सीआईए ही नहीं जर्मन इंटेलीजेंस एजेंसी ने भी अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद डब्लूएचओ प्रमुख टेडरॉस एडनॉम से बातचीत की और उन्हें प्रभावित किया था। 

जर्मन ख़ुफ़िया एजेंसी बीएनडी के मुताबिक जिनपिंग के कहने पर ही कोरोना के इंसानों से इंसानों में फैलने की बात को 15 दिन तक छिपाया गया। 21 जनवरी को जिनपिंग और टेडरॉस ने मुलाक़ात की थी जबकि ताइवान की लैब ने 10 जनवरी को ही डब्लूएचओ को बता दिया था कि वायरस इंसानों से इंसानों में फ़ैल रहा है।

28 जनवरी को जिनपिंग और टेडरॉस की मुलाक़ात के बाद डब्लूएचओ ने कोरोना को पब्ल्कि हेल्थ इमरजेंसी 30 जनवरी को घोषित किया। इस खुलासे के तुरंत बाद डब्लूएचओ ने एक बयान जारी कर इसे 'निराधार और असत्य' बताया। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि टेड्रोस ने 20, 21 या 22 जनवरी को शी के साथ कोई बात नहीं हुई लेकिन 28 जनवरी को बीजिंग में शी के साथ टेड्रोस की मुलाकात हुई।

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