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चीन ने अमेरिका के मुंह पर कहा, हमारे द्वीपों के पास लड़ाकू विमान और जहाज भेजना बंद करो

चीन और अमेरिका के बीच शनिवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में दोनों पक्षों की तरफ से कई बातें कहीं गईं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : November 10, 2018 12:40 IST
China warns United States to avoid islands it claims in South China Sea | AP Photo
China warns United States to avoid islands it claims in South China Sea | AP Photo

वॉशिंगटन: चीन और अमेरिका के बीच शनिवार को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में दोनों पक्षों की तरफ से कई बातें कहीं गईं। इस मौके पर चीन ने अमेरिका से दो टूक लहजे में कहा है कि वह दक्षिण चीन सागर में उन द्वीपों के निकट पोत तथा सैन्य विमान भेजना बंद करे जिन्हें चीन अपना बताता है। शीर्ष स्तर पर हुई इस बैठक को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस महीने के अंत में होने वाली मुलाकात की तैयारी के तौर देखा जा रहा है।

वॉशिंगटन में दोनों देशों के शीर्ष राजनयिकों तथा सैन्य प्रमुखों के बीच बैठक हुई। चीन के ऐतराज के बावजूद अमेरिका ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि जहां कहीं भी अंतरराष्ट्रीय कानून इजाजत देंगे वह विमान भेजना, पोत भेजना और उन स्थानों तक अपनी पहुंच जारी रखेगा। सितंबर महीने के अंत में अमेरिका और चीन के पोत एक विवादित द्वीप के पास टकराने से बचे थे। इस बैठक में गहरे मतभेद के बावजूद दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने की जरूरत पर जोर दिया गया।

विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने अमेरिका-चीन कूटनीति एवं सुरक्षा बैठक के बाद कहा, ‘अमेरिका चीन के साथ शीत युद्ध रोकथाम की नीति नहीं अपना रहा है। बल्कि हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि दोनों देशों की सुरक्षा और समृद्धि के लिए चीन जिम्मेदाराना और निष्पक्ष रवैया अपनाए।’ गौरतलब है कि यह बैठक पिछले माह बीजिंग में होनी थी लेकिन ताइवान को नए हथियारों की बिक्री की घोषणा होने और सितंबर में एक चीनी विध्वंसक पोत के USS डेकाटर के नजदीक आने के बाद स्थगित कर दी गई थी। तब अमेरिकी नौसेना ने इसे ‘असुरक्षित और गैर-पेशेवर कदम’ करार दिया था।

पॉम्पियो के चीनी समकक्ष यांग जाइची ने कहा, ‘चीनी पक्ष ने अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि उसे चीन के द्वीपों और रीफ के निकट अपने पोत और सैन्य विमान भेजने बंद करना चाहिए और ऐसी कार्रवाइयां बंद करनी चाहिए जो चीनी प्राधिकार और सुरक्षा हितों को कमजोर करते हों।’ यांग और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने अमेरिका और चीन की सेनाओं के बीच तथा इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया ताकि एशिया प्रशांत में दो विश्व शक्तियों के बीच टकराव के खतरे को रोका जा सके।

वेई ने कहा,‘हमारे लिए सहयोग ही एकमात्र विकल्प है। दो सेनाओं के बीच विरोध और संघर्ष हमारे ऊपर कहर बरपाएगा।’’ इस बीच, अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस ने नौवहन की स्वतंत्रता के अमेरिका के अधिकार पर जोर दिया लेकिन कहा कि दोनों पक्षों को समान हित वाले क्षेत्रों पर मिल कर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिस्पर्धा का मतलब शत्रुता नहीं है और न ही इसे संघर्ष में तब्दील होना चाहिए।’

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