वाशिंगटन: गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प को लेकर अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन के वरिष्ठ जनरल ने अपने सैनिकों को गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों पर हमले का आदेश दिया था। इस हमले में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद से ही भारत और चीन के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गया है।
अमेरिकी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चीन के पश्चिमी थियेटर कमांड के प्रमुख जनरल झाओ जोंगकी ने गलवान घाटी हमले को मंजूरी दी थी। जनरल झाओ उन कुछ गिने चुने वरिष्ठ जनरल में शामिल हैं जो पीएलए में अभी भी सेवा दे रहे हैं। झाओ ने इससे पहले चेतावनी दी थी कि भारत, अमेरिका और उसके सहयोगियों के शोषण से बचने के लिए चीन को कमजोर नहीं दिखना चाहिए।
इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाता है कि चीन इस हमले के जरिए भारत को अपनी ताकत का संदेश देना चाहता था। हालांकि चीन की यह योजना उल्टी पड़ गई और इस हिंसक झड़प में उसके 40 से ज्यादा सैनिक हताहत हो गए। दरअसल, चीन चाहता था कि इस कार्रवाई के जरिए भारत पर दबाव बनाया जाए ताकि वार्ता की मेज पर भारतीय पक्ष को दबाया जा सके।
वहीं अब कमांडर्स लेवल की बातचीत के बाद चीन झुक गया है। कल की बातचीत में दोनों देशों के बीच तनाव कम करने पर सहमति बनी है और जिन प्वाइंट को लेकर टेंशन है, उनसे दोनों सेनाएं पीछे हटेंगी। चीन के हिस्से में मोल्डो इलाके में दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच करीब 12 घंटे चली इस बैठक के नतीजे सकारात्मक लग रहे हैं। इस मीटिंग के बाद सेना का बयान आया है।
इस मीटिंग में चीन अपने सैनिकों को पीछे हटाने पर राजी हो गया है और अप्रैल 2020 की स्थिति मेनटेन की जाएगी। भारत की ओर से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने दो टूक कहा कि चीन को अपने बंकर्स हटाने होंगे, डिप्लॉयमेंट पीछे करना होगा।
अगर चीन हिंसा करता है तो उस पर कार्रवाई करने की छूट भारत के पास है। इस बातचीत में चीन की ओर से कहा गया भारत रोड कंस्ट्रक्शन बंद करे और सैनिकों की तादाद कम करे। इस पर हरेंद्र सिंह ने कहा हम जो भी काम कर रहे हैं अपनी सीमा के अंदर कर रहे हैं।