वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि चीन के रवैये से भारत और जापान समेत क्षेत्र के कई देशों को परेशानियां हो रही है। बोल्टन ने अलेक्जेंडर हैमिल्टन सोसायटी में बुधवार को एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘चीन की मौजूदा नीतियां, जैसी दक्षिण चीन सागर में है, कई मायनों में आक्रामक हैं। चीन का व्यवहार ऐसा है जिससे जापान, ताईवान, भारत और मध्य एशियाई देशों को दिक्कतें हो रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि चीन को विश्व व्यापार संगठन में शामिल करने के पीछे तर्क था कि इससे वह बाजार केंद्रित नियमों पर आधारित समाज बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा। हालांकि उसने इसके बजाय 20 साल तक अमेरिकी प्रौद्योगिकियों की चोरी की, विदेशी व्यापार व निवेश में भेदभाव किया। बोल्टन ने कहा कि चीन अब ऐसा नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देश तमाम असहमतियों के बाद भी प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और बौद्धिक संपदा पर चीन के रवैये से बराबर पीड़ित हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रंप सरकार की चीन के खिलाफ खड़ा होने की हालिया नीति ने चीन को हैरान कर दिया है और उम्मीद है कि इससे उनका रवैया बदले। बोल्टन हाल ही में रूस की यात्रा पर थे। उन्होंने रूस के नेतृत्व से मुलाकात और बातचीत की तथा उनसे कहा कि वे चीन को समझाएं। बोल्टन ने कहा, चीन और रूस अभी दोस्त दिख तो रहे हैं लेकिन उनके हित आपस में नहीं मिलते हैं। रूस हाइड्रोकार्बन का निर्यातक है जबकि चीन इसका आयात करता है। रूस उन्नत हथियार बेचता है जबकि चीन रूस से खरीदता है।
उन्होंने कहा कि चीन रूस के साथ भी वही कर रहा है जो उसने अमेरिकी उत्पादों और कंपनियों के साथ किया है, जो कि बौद्धि संपदा की चोरी करना उसकी नकल करना और नकली उत्पाद तैयार करना है। बोल्टन ने कहा कि जल्दी ही चीनी लोग वही सामान कम दाम में बेचने लग जाएंगे जो रूस दुनिया भर को बेचा करता है।