वॉशिंगटन: बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी विदेश नीति में प्राथमिक ध्यान मानवाधिकारों की बहाली पर देने के लक्ष्य पर आगे बढ़ने के क्रम में धार्मिक स्वतंत्रता के दमन के लिए चीन और कई अन्य देशों पर बुधवार को निशाना साधा। बता दें कि बाइडेन से पहले ट्रंप प्रशासन ने भी चीन की इस तरह की निंदा की थी। ऐसे में साफ है कि यह कदम अमेरिकी स्थिति की फिर से पुष्टि करता है कि मुस्लिमों पर और पश्चिमी शिनजियांग में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर चीन की कार्रवाई ‘नरसंहार’ के दायरे में आती है।
हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता, प्रशासन के व्यापक मानवाधिकार रणनीति का महज एक तत्व है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने मंत्रालय की वार्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट का हवाला देकर चीन की अपने नागरिकों को स्वतंत्र रूप से उपासना करने की अनुमति न देने के लिए निंदा की। इसके अलावा उन्होंने पूर्व वरिष्ठ चीनी अधिकारी पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है जिन पर अमेरिका ने फालुन गोंग धार्मिक पंथ के सदस्यों का दमन करने का आरोप लगाया है।
बता दें कि चीन के ऊपर शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों समेत अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार के आरोप लगते रहे हैं। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन एक तरफ तो उइगर मुसलमानों की धार्मिक पहचान खत्म करने के लिए काम कर रहा है, और दूसरी तरफ उसकी कोशिश उनकी जन्म दर घटाने को लेकर भी है। शायद यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में शिनजियांग में जन्म दर में काफी कमी देखने को मिली है।
अमेरिका के ताजा बयान से यह भी साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने की उम्मीद कम ही है। बता दें कि अमेरिका कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान में स्थित एक प्रयोगशाला में हुई थी, लेकिन अभी तक इस बात पर पुख्ता मुहर नहीं लग पाई है।