संयुक्त राष्ट्र: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आव्रजन नीति की बढ़ती आलोचना के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा है कि बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर उन्हें प्रताड़ित नहीं करना चाहिए। इस नीति की वजह से सैकड़ों प्रवासी परिवारों के बच्चे अपने माता-पिता से अलग हो गए हैं। ट्रंप की ‘नो टॉलरेंस पॉलिसी’ में प्रावधान है कि अवैध रूप से दक्षिणी सीमा पार करने वाले वयस्कों पर मुकदमा चलाया जाएगा। मई महीने की शुरुआत से बच्चों के माता-पिता के अलग होने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
उस वक्त अटॉर्नी जनरल जेफ सेशंस ने ऐलान किया था कि मेक्सिको से लगी अमेरिकी सीमा को अवैध रूप से पार करने वाले सभी प्रवासियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा, भले ही वयस्क शरण क्यों न मांग रहे हों। चूंकि बच्चों को उन जगहों पर नहीं ले जाया जा सकता जहां उनके माता-पिता को रखा गया है, इसलिए उन्हें अलग कर दिया जा रहा है। गुटरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘सिद्धांत के तौर पर महासचिव का मानना है कि शरणार्थियों और प्रवासियों से हमेशा आदर एवं गरिमा के साथ और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार व्यवहार करना चाहिए। बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर उन्हें प्रताड़ित नहीं करना चाहिए। परिवार की एकता बनाकर रखनी चाहिए।’
महासचिव ने प्रवासी एवं शरणार्थी बच्चों के अधिकारों का बचाव किया, लेकिन अमेरिका का जिक्र नहीं किया। यह पूछे जाने पर कि क्या महासचिव अमेरिकी सीमा की सुरक्षा पर ट्रंप की जरा भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति को लेकर चिंतित हैं, इस पर दुजारिक ने कहा कि महासचिव देखना पसंद करेंगे कि सभी सीमाई लोगों से उनके अधिकारों के लिए गरिमा एवं आदर का व्यवहार किया जाए और शरण मांग रहे लोगों को उचित रूप से सुना जाए। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त जैद राद अल हुसैन ने भी ट्रंप की सीमा सुरक्षा नीतियों पर गहरी चिंता जताई है।
जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के 38 वें सत्र के उद्घाटन सत्र में हुसैन ने कहा, ‘पिछले छह हफ्ते में करीब दो हजार बच्चों को जबरन उनके माता-पिता से अलग किया गया है।’ इस बीच दुनियाभर की मीडिया में तमाम ऐसी तस्वीरें छपी हैं, जिन्हें देखकर मां-बाप से अलग किए जा रहे बच्चों की पीड़ा साफ देखी जा सकती है।