वाशिंगटन। अमेरिका ने तालिबान द्वारा देश पर कब्जा किए जाने के बाद अफगानिस्तान सरकार को हथियारों की बिक्री पर रोक लगा दी है। रक्षा ठेकेदारों के लिए बुधवार को जारी किए गए एक नोटिस में विदेश विभाग के राजनीतिक/सैन्य मामलों के ब्यूरो ने कहा कि अफगानिस्तान को लंबित या हस्तांतरण नहीं किए गए हथियारों को लेकर समीक्षा की गई।
उन्होंने कहा, ''अफगानिस्तान में तेजी से बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर रक्षा बिक्री नियंत्रण निदेशालय विश्व शांति को आगे बढ़ाने, राष्ट्रीय सुरक्षा और अमेरिका की विदेश नीति में उनकी उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए सभी लंबित और जारी किए गए निर्यात लाइसेंस और अन्य मंजूरी की समीक्षा कर रहा है।'' नोटिस में कहा गया है कि वह आने वाले दिनों में रक्षा उपकरण निर्यातकों के लिए अद्यतन जानकारी साझा करेगा।
तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान से भी बड़े खतरे मौजूद: बाइडन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आ जाने के बावजूद उन्हें अन्य देशों में अल-कायदा और उससे संबद्ध समूहों से बड़ा खतरा नज़र आता है। इसके साथ ही बाइडन ने कहा कि अफगानिस्तान में अब भी अमेरिकी सैन्य शक्ति पर ध्यान केंद्रित रखना "तर्कसंगत" नहीं था। बाइडन ने एक साक्षात्कार में यह टिप्पणी की जिसका प्रसारण एबीसी के "गुड मॉर्निंग अमेरिका" में गुरुवार को किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि सबसे बड़ा खतरा कहां है।"
उन्होंने कहा, ‘‘और यह विचार कि हम अरबों डॉलर का खर्च जारी रख सकते हैं, और अफगानिस्तान में हजारों अमेरिकी सैनिक हैं, जब हमारे सामने उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी अफ्रीका है, यह विचार कि हम ऐसा कर सकते हैं और उन बढ़ती समस्याओं की अनदेखी कर सकते हैं, यह तर्कसंगत नहीं है।"
बाइडन ने ऐसे स्थानों के रूप में सीरिया और पूर्वी अफ्रीका का नाम लिया जहां इस्लामिक स्टेट समूह अफगानिस्तान की तुलना में "काफी बड़ा खतरा" है। उन्होंने कहा कि आईएसआईएस ने काफी प्रसार कर लिया है। उन्होंने कहा कि सीरिया जैसी जगह पर अमेरिका की बड़ी सैन्य उपस्थिति नहीं है, लेकिन उसके पास उन्हें बाहर निकालने की क्षमता है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के समय को लेकर बाइडन प्रशासन की तीखी आलोचना हो रही है।
अफगानों ने तालिबान शासन से तेजी से निकालने की अमेरिका से गुहार लगाई
तालिबान से सबसे ज्यादा जोखिम का सामना कर रही शिक्षित युवा महिलाएं, अमेरिका सेना के पूर्व अनुवादकों और अन्य अफगानों ने बाइडन प्रशासन से उन्हें निकासी उड़ानों में ले जाने का आग्रह किया है जबकि अमेरिका काबुल हवाईअड्डे पर जारी अव्यवस्था को ठीक करने में बुधवार को भी संघर्ष करता दिखा। अमेरिकी सेना के साथ उनके काम के चलते खतरे में पड़े अफगान नागरिक और बाहर निकलने को बेताब अमेरिकी नागरिकों ने भी वाशिंगटन से लालफीताशाही में कटौती करने की अपील की है जिसके बारे में उनका कहना है कि अगर आने वाले दिनों में अमेरिकी बल योजना के मुताबिक अफगानिस्तान से लौटते हैं तो हजारों कमजोर अफगान परेशानी में फंस सकते हैं।
अमेरिका ने तालिबान से सुरक्षित मार्ग की गारंटी मांगी
गैर सरकारी संगठन ‘एसेंड’ की अमेरिकी प्रमुख मरीना केलपिंस्की लेग्री ने कहा, “अगर हम इसे नहीं सुलझाते हैं, तो हम सचमुच लोगों की मौत का आधिकारिक आदेश दे रहे होंगे।” कई दिनों से जारी आंसू गैस और गोलियों की बौछार के बीच संगठन की युवा अफगान महिला सहकर्मी हवाई अड्डे पर उड़ानों की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की भीड़ में शामिल हैं। अमेरिका ने हवाई अड्डे को सुरक्षित करने के लिए सैनिकों, परिवहन विमानों और कमांडरों को भेजा है, तालिबान से सुरक्षित मार्ग की गारंटी मांगी है और एक दिन में 5,000 और 9,000 लोगों को लाने-ले जाने के लिए उड़ानें बढ़ा दी हैं।
उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने अफगानों और सहयोगियों को सुरक्षित करने के लिए इसे अमेरिकी अधिकारियों का चौतरफा प्रयास बताया। लेकिन रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इस संबंध में गंभीर टिप्पणी की है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हमारे पास इतनी बड़ी संख्या में लोगों को निकालकर लाने की क्षमता नहीं है।” साथ ही कहा कि निकासी अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक हमारे पास समय है या जब तक हमारी क्षमताएं जवाब नहीं दे जाती हैं। वहीं, कुछ ऐसे भी अफगान नागरिक थे जो अपना देश छोड़ना नहीं चाहते थे। इनमें राष्ट्रीय पुलिस अधिकारी मोहम्मद खालिद वरदाक भी शामिल हैं, जिन्होंने अमेरिकी विशेष बलों के साथ काम किया और यहां तक कि टेलीविजन पर तालिबान को लड़ाई तक की चुनौती दी थी। वह अमेरिकी बलों के देश से लौट जाने के बाद अपने गृह देश की रक्षा के लिए अपने देशवासियों के साथ खड़े रहना चाहते थे। लेकिन फिर चौंकाने वाली गति से, सरकार गिर गई। उनके राष्ट्रपति देश छोड़कर चले गए।
और अब खालिद, छिपते फिर रहे हैं और इस उम्मीद में हैं कि अमेरिकी अधिकारी उनकी मदद कर उनकी वफादारी का इनाम देंगे और उन्हें एवं उनके परिवार को लगभग निश्चित मौत से बचाएंगे। लेकिन समय और अमेरिकी नीति उनके पक्ष में नहीं हैं। समर्थकों का कहना है कि अफगानिस्तान में अमेरिका के लिए काम करने वाले अनुवादक, दुभाषिए और अन्य लोग विशेष अप्रवासी वीजा के लिए आवेदन करने के पात्र हैं, लेकिन वर्तमान अफगान सैन्य सदस्य या पुलिस अधिकारी इसके पात्र नहीं हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे शरणार्थी के दर्जे के लिए पात्र हो सकते हैं, लेकिन खालिद के समर्थकों का कहना है कि उनके परिवार को अब बाहर निकालने की जरूरत है। अमेरिकी सेना में उनके दोस्तों का कहना है कि वह एक भाई हैं जिन्होंने अनगिनत लोगों की जान बचाने में मदद की, और वे खालिद और उनकी पत्नी और चार बच्चों को काबुल हवाईअड्डे के अंदर लाने के लिए और कम से दूसरे किसी देश भेजने के लिए कांग्रेस, रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सदस्यों से मदद की गुहार लगा रहे हैं।