वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है जो बच्चों के रूप में अवैध रूप से अमेरिका पहुंचे आव्रजकों को वर्क परमिट जारी करने की अनुमति देती है। इस कदम से सात हजार से अधिक भारतीय-अमेरिकी प्रभावित हो सकते हैं। यह जानकारी आज एक मीडिया रिपोर्ट में दी गई। डेफर्ड एक्शन फॉर चिल्ड्रन एराइवल डीएसीए नामक कार्यक्रम पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण आव्रजन सुधार था। (उत्तर कोरिया के खिलाफ दक्षिण कोरिया ने किया बैलिस्टिक मिसाइल का अभ्यास शुरू)
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव साराह सैंडर्स ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा था कि ट्रंप मुद्दे पर कल फैसला करेंगे। हालांकि पॉलिटिको ने अपनी खास रिपोर्ट में कहा कि ट्रंप पहले ही इस कार्यक्रम को खत्म करने का फैसला कर चुके हैं और वरिष्ठ अधिकारी अब उनके फैसले को लागू करने पर चर्चा कर रहे हैं जो इस सप्ताह के अंत में आ सकता है। पॉलिटिको ने कहा कि हालांकि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने कहा है कि जब तक औपचारिक घोषणा नहीं होती तब तक ट्रंप के फैसले में बदलाव भी हो सकते हैं।
यह फैसला ट्रंप के चुनाव पूर्व वायदों में से एक है। इस फैसले की व्यापाक आलोचना हो सकती है। यहां तक कि ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के लोग भी इसकी आलोचना कर सकते हैं। इस कदम से बिना दस्तावेज वाले लगभग साढ़े सात लाख से अधिक कर्मियों पर असर पड़ सकता है जिनमें सात हजार से अधिक भारतीय-अमेरिकी हैं। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष पॉल रेयान ने एक रेडियो साक्षात्कार में कहा कि ट्रंप को डीएसीए को खत्म नहीं करना चाहिए क्योंकि ये बच्चे अमेरिका के अलावा किसी और देश को नहीं जानते। यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्वसिेज के 31 मार्च 2017 तक के आंकड़ों के अनुसार डीएसीए छात्रों के मामले से संबंधित मूल देशों में भारत ग्यारहवें स्थान पर है।