न्यूयॉर्क: भारतीय मूल के वकील कश्यप 'काश' पटेल ने रिपब्लिकन का वह विवादास्पद मेमो तैयार किया है, जिसमें संघीय जांच ब्यूरो (FBI) की आलोचना की गई है। इस विवादास्पद रिपब्लिकन मेमो जारी होने से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और FBI के बीच कड़वाहट बढ़ गई है। राष्ट्रपति ने जहां एक ओर इसे ‘कंलक’ बताया वहीं खुफिया एंजेसी के प्रमुख ने अपने एजेंटों को बचाने का संकल्प लिया है। पटेल ने इस दस्तावेज का मसौदा तैयार किया है, जिसमें ट्रंप के प्रचार अभियान और रूस सरकार के बीच कथित संबंधों की FBI जांच में अनियमितता बरतने की बात कही गई है।
सदन की खुफिया समिति के रिपब्लिकन सदस्यों की ओर से यह मेमो तैयार किया गया है, जिसे ट्रंप की मंजूरी के बाद शुक्रवार को सार्वजनिक किया गया। एफबीआई और डेमोक्रेट सदस्यों ने इस मेमो का विरोध किया है। पटेल ने इस खुफिया मेमो को पढ़ा और उन्होंने ही इस मेमो का मसौदा तैयार किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह पहले न्याय विभाग के राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभाग में काम करते थे। वह अप्रैल 2017 में वरिष्ठ आतंकवाद रोधी वकील के तौर पर समिति में शामिल हुए थे। शुक्रवार को जारी इस मेमो ने जहां एक तरफ व्हाइट हाउस और रिपब्लिकन के बीच तो दूसरी तरफ न्याय विभाग और FBI के बीच बढ़ रहे अविश्वास को और बढ़ा दिया है।
पटेल इससे पहले वर्ष 2016 में तब खबरों में आए थे, जब उन्होंने संघीय अदालत में न्याय विभाग के लिए काम करते हुए टाई नहीं पहनी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आतंकवाद संबंधी उस मुकदमे के दौरान, पटेल मध्य एशिया से आने के तुरंत बाद अदालत चले गए थे, जहां न्यायाधीश लिन ह्यूजेस ने उनके पहनावे को लेकर उनकी आलोचना की थी और उनका पासपोर्ट देखने की मांग की थी।