वाशिंगटन: खूंखार आतंकवादी संगठन आईएस पर मदर ऑफ ऑल बम गिराने के बाद अमेरिकी सेना का सीरिया और इराक से और आतंकवादियों के यहां पहुंचने से पहले अफगानिस्तान में आईएस के खात्मे का लक्ष्य है। अमेरिकी और अफगानिस्तान सरकार की सेना वर्ष 2001 से तालिबान आतंकवादियों से मुकाबला कर रही है। आईएस की स्थानीय शाखा जिसे इस्लामिक स्टेट-खुरासन या आईएसआईएस-के नाम से जाना जाता है, उसका पूर्वी अफगानिस्तान गढ़ बन गया है। (कश्मीर मुद्दे पर पाक ने किया तुर्की के राष्ट्रपति के सुझाव का स्वागत)
कई अमेरिकियों ने गत महीने आईएसआईएस-के का नाम उस समय पहली बार सुना था जब अमेरिका ने उसके नांगरहार गढ़ पर मदर ऑफ ऑल बम गिराया था। पेंटागन ने कहा था कि यह युद्ध में इस्तेमाल किया गया अब तक का सबसे बड़ा गैर परमाणु हथियार है। अमेरिका और अफगान सेना ने गत सप्ताह इसके पास ही एक जगह पर हमला किया था। पेंटागन ने कहा कि उसका मानना है कि उसने अभियान के दौरान आईएस-के नेता अब्दुल हसीब को मार गिराया।
अमेरिकी सेना-अफगानिस्तान के प्रवक्ता कैप्टन बिल साल्विन ने कहा कि स्थानीय आईएस आतंकवादियों की संख्या 2,500 से 3,000 थी लेकिन हाल ही के हमलों के बाद उनकी संख्या 800 तक रह गई है। साल्विन ने एएफपी से कहा कि हमारे पास 2017 में उनका खात्मा करने का बहुत अच्छा मौका है। सेना और विश्लेषकों दोनों का यह मानना है कि अगर आईएस आतंकवादियों को इराक और सीरिया से बाहर खदेड़ा गया तो उनके अफगानिस्तान की ओर कूच करने का खतरा पैदा हो जाएगा।