वाशिंगटन: अफगान सरकार, तालिबान और अन्य समूहों के प्रतिनिधि नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में 10 मार्च तक आमने-सामने की बैठक करेंगे। अफगानिस्तान में शांति स्थापना के लिए शनिवार को दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते पर हस्ताक्षर के साथ ही अधिकारियों ने अफगान प्रतिनिधियों के बीच ओस्लो में होने वाली बैठक की जानकारी दी। अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 के हमलों के बाद संभवत: यह पहली बार होगा जब विधि अनुसार निर्वाचित अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच शांति वार्ता के लिए आमने-सामने की बैठक होगी।
इस संबंध में प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ओस्लो में पक्षों की बैठक होगी। हम निश्चित तौर पर उम्मीद करते हैं कि यह मार्च के पहले पखवाड़े में होगी। सभी पक्षों को वहां पहुंचने में एक सप्ताह, डेढ़ सप्ताह लग सकता है।’’ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि इस अवधि में अमेरिका के पास हिंसा में कमी के स्थायित्व को परखने का अच्छा अवसर होगा और एक बार सभी पक्षों के मेज पर आ जाने से स्थायी युद्धविराम की दिशा में बढ़ने का शायद एक बेहतर मंच तैयार होगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘मेज पर अफगान सरकार और विपक्ष होंगे, यह तालिबान होगा, यह अफगानिस्तान का नागरिक समाज होगा, और खास तौर पर महिलाओं के समूह, सभी पक्ष वार्ता के लिए मेज पर होंगे। अमेरिका मौजूद रहेगा, लेकिन यह एक अंतर अफगान वार्ता होगी।’’
समझौते के तहत अमेरिका ने दोहा में एक संपर्क चैनल स्थापित किया है जहां यह तालिबान और अफगान सरकार के बीच मध्यस्थता की अपनी भूमिका निभाना जारी रखेगा। प्रशासन के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि संपर्क चैनल का दायित्व समझौते के क्रियान्वयन में मदद करने का होगा। अधिकारी ने कहा, ‘‘यकीनन, हम अंतर अफगान वार्ता में शामिल होंगे।’’ उन्होंने कहा कि ओस्लो में, कई अन्य देशों ने भी मददगार भूमिका निभाने का अपना इरादा व्यक्त किया है।
दूसरे अधिकारी ने कहा, ‘‘अन्य सरकारें भी होंगी जो वार्ता में मदद करेंगी इंडोनेशिया के भूमिका निभाने की संभावना है, जर्मनी के भूमिका निभाने की संभावना है, उज्बेकिस्तान की भूमिका निभाने में रुचि है। इस तरह विभिन्न तरह के भागीदार हैं जो पक्षों की मदद कर सकते हैं।’’ संयुक्त राष्ट्र भी भूमिका निभाएगा। अधिकारी ने कहा कि ओस्लो पहुंचने पर हिंसा कम करने की प्रतिबद्धताएं की जाएंगी।