ह्यूस्टन: एरोनॉटिकल इंजीनियर शिरिषा बांदला रविवार को अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गईं जब उन्होंने अमेरिका के न्यू मैक्सिको प्रांत से ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन के साथ ‘वर्जिन गैलेक्टिक’ की अंतरिक्ष के लिए पहली पूर्ण चालक दल वाली सफल परीक्षण उड़ान भरी। वर्जिन गैलेक्टिक के वीएसएस यूनिटी नामक अंतरिक्ष यान ने स्पेसपोर्ट अमेरिका प्रक्षेपण केन्द्र से न्यू मैक्सिको के ऊपर करीब 1.5 घंटे के मिशन के लिए उड़ान भरी। खराब मौसम होने के कारण इस उड़ान में 90 मिनट की देरी भी हुई।
न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष की यात्रा करने के लिए बांदला वर्जिन गैलेक्टिक के अंतरिक्ष यान टू यूनिटी में ब्रैनसन और चार अन्य लोगों के साथ रवाना हुईं। आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में जन्मी बांदला अमेरिका के ह्यूस्टन में पलीं-बढ़ी हैं। न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष यान की उड़ान में ब्रैनसन (70) के साथ पांच और लोग करीब 53 मील की ऊंचाई (88 किलोमीटर) पर अंतरिक्ष के छोर पर पहुंचे। वहां तीन से चार मिनट तक भारहीनता महसूस करने और धरती का नजारा देखने के बाद वापस लौट आए।
बांदला चार साल की उम्र में अमेरिका चली गईं और 2011 में पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स से विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री पूरी की।
बांदला यूएस नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के लिए एक अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थीं। लेकिन, आंखों की कमजोर रोशनी के कारण वह ऐसा नहीं कर सकीं। जब वह पर्ड्यू विश्वविद्यालय में थीं, तो एक प्रोफेसर ने उन्हें वाणिज्यिक अंतरिक्ष उड़ानों के क्षेत्र में एक अवसर के बारे में बताया। इसके बाद वह इससे जुड़ीं।