कीवः राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने रूस पर जीत हासिल करने के लिए "विजय योजना" पेश की है। उन्होंने अपने इस विजय योजना से रूस के साथ लगभग तीन साल से जारी युद्ध को खत्म करने का दावा किया है। मगर यूक्रेन के कई सहयोगियों को उनके इस प्लान पर भरोसा नहीं हो पा रहा है। लिहाजा जेलेंस्की की इस ‘विजय योजना’ को अब तक पश्चिमी देशों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है। जेलेंस्की ने देश और विदेश में जिस ‘विजय योजना’ की रूपरेखा पेश की है उसमें यूक्रेन को नाटो में शामिल होने का औपचारिक आमंत्रण देना और रूसी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए पश्चिमी देशों से प्राप्त लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग करने की अनुमति देना शामिल है।
जेलेंस्की की ओर से पेश ये दोनों कदम ऐसे हैं, जिनका समर्थन करने के प्रति कीव के सहयोगी पहले से अनिच्छुक रहे हैं। जेलेंस्की को यदि इन प्रस्तावों पर अन्य सहयोगियों से समर्थन प्राप्त करना है तो उसके लिए अमेरिका का समर्थन मिलना महत्वूपर्ण है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन की आर से पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले कोई निर्णय लेने की संभावना नहीं है। यूक्रेन के राष्ट्रपति को लगता है कि युद्ध में यूक्रेन की स्थिति को मजबूत करने और किसी भी शांति वार्ता से पहले उनके इन प्रस्तावों को समर्थन मिलना जरूरी है। इस मामले में अमेरिका ने कोई प्रतिबद्धता नहीं दर्शाई है, लेकिन उसने यूक्रेन की सुरक्षा सहायता के लिए 42.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर का नया पैकेज उसी दिन जारी कर दिया, जिस दिन जेलेंस्की ने सांसदों के समक्ष योजना पेश की थी।
अमेरिका ने यूक्रेन से कही खरी-खरी
जेलेंस्की ने भले ही अपनी योजना को पूरे कॉन्फिडेंस के साथ पेश किया हो, लेकिन सभी देशों को इस पर भरोसा कर पाना मुश्किल हो रहा है। इसकी वजह यह भी है कि सभी को रूस की ताकत का अंदाजा है। इसीलिए अमेरिकी रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी कह दिया, ‘‘इस योजना का सार्वजनिक रूप से मूल्यांकन करना मेरा कार्य नहीं है।’’ यूरोपीय देशों की प्रतिक्रियाओं में स्पष्ट विरोध से लेकर मजबूत समर्थन तक शामिल हैं। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने शनिवार को कीव में कहा कि वह प्रस्ताव के समर्थन के लिए अन्य देशों को एकजुट करने के लिए यूक्रेनी अधिकारियों के साथ काम करेंगे। उधर जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज कीव को टॉरस नामक लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों की आपूर्ति करने से इनकार कर चुके हैं। वह अब भी अपने रुख पर कायम हैं।
नाटो यूक्रेन युद्ध में शामिल नहीं होना चाहता
जेलेंस्की नाटो देशों से लगातार मदद की मांग करते रहे हैं। मगर जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने साफ कह दिया है कि ‘‘हमारी स्थिति स्पष्ट है: हम यूक्रेन का यथासंभव मजबूती से समर्थन कर रहे हैं। लेकिन हम इस बात का भी ध्यान रख रहे हैं कि नाटो इस युद्ध में शामिल न होने पाए, ताकि यह युद्ध और भी बड़ी तबाही में न बदले।’’ हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन, जिन्हें व्यापक रूप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ किसी भी यूरोपीय संघ के नेता की तुलना में सबसे मधुर संबंध रखने वाला माना जाता है, ने फेसबुक पर एक पोस्ट में जेलेंस्की की योजना को ‘भयावह’ से आगे की चीज बताया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने जेलेंस्की की योजना का मजाक उड़ाते हुए उसे ‘क्षणभंगुर’ करार दिया। (भाषा)
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