रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ उनके ही सबसे खास वैगनर आर्मी के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझीन ने बगावत का बिगुल बजा दिया था। लेकिन पुतिन के सामने ये बगावत 24 घंटे भी नहीं टिक सकी। येवगेनी प्रीगोझीन ने बयान दिया है कि ताकि रूस के लोगों का खून ना बहे, इसलिए वो अपने इलाक़े और फील्ड कैंप्स में वापस लौट रहे हैं।
"...ताकि रूस के लोगों का खून ना बहे"
वैगनर ग्रॅुप के प्रमुख ने मॉस्को की ओर जा रहा अपना काफिला रोक दिया है। इस प्राइवेट आर्मी के चीफ का नाम है येवगेनी प्रीगोझीन। येवगेनी ने तनाव खत्म करने पर अपनी सहमति दी है। ये दावा बेलारूस के प्रेसिडेंट ने किया है। येवगेनी ने कहा कि रूस के लोगों का खून ना बहे, इसलिए वे अपने इलाक़े और फील्ड कैंप्स में वापस लौट रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह फैसला बेलारूस के राष्ट्रपति की मध्यस्थता के बाद हुआ है।
1 जुलाई तक मॉस्को में सबकुछ बंद
वहीं वैगनर के विद्रोह के बाद मॉस्को में 1 जुलाई तक सामूहिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। सभी एजुकेशनल इंस्टिट्यूट भी 1 जुलाई तक बंद रहेंगे। इसके अलावा प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पर भी बैन लगा दिया गया है। मॉस्को के मेयर ने लोगों से अपील की है कि वो घरों में ही रहें, घर से बाहर न निकलें। वैगनर ने इससे पहले 7 रसियन हेलीकॉप्टर और प्लेन भी तबाह कर दिए हैं।
रूस के शहरों पर उतारे थे 30 हजार लड़ाके
बता दें कि वैगनर नाम की एक प्राइवेट आर्मी अपने लड़ाकों के साथ टैंक और गोलों के साथ मॉस्को की तरफ बढ़ रही थी। रूस से लड़ने के लिए वही सेना खड़ी हो गई थी जिसे रूस ने ही पैदा किया है। यूक्रेन से युद्ध के बीच वैगनर ग्रुप के विद्रोह ने पुतिन की टेंशन बढ़ा दी है। ये जाहिर तौर पर रूस में तख्तापलट की कोशिश थी। वैगनर गैंग की ओर से दावा किया गया था कि उसने करीब 30 हजार लड़ाके रूस के शहरों पर उतारे हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने वैगनर ग्रुप की इस बगावत को पीठ में छुरा घोपने वाली हरकत करार दिया था।
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