बाकू (अजरबैजान): अजरबैजान की राजधानी बाकू में संयुक्त राष्ट्र के 29वें वार्षिक जलवायु सम्मेलन में शिरकत करने के लिए मंगलवार को विश्वभर के नेताओं का जमावड़ा लगने लगा है। हालांकि, इस सम्मेलन में प्रमुख विश्व नेता और शक्तिशाली देश नदारद हैं। जबकि पिछली जलवायु वार्ताओं में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस साल की वार्षिक जलवायु वार्ता शतरंज की बिसात जैसी होने की उम्मीद है. जिसमें भले ही चर्चित हस्तियां नहीं हों... लेकिन विभिन्न मुद्दों पर विकसित और विकासशील देशों के बीच शह और मात का खेलने देखने को मिल सकता है।
दुनिया में कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन करने वाले 13 शीर्ष देशों के राज्याध्यक्ष या शासनाध्यक्ष इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। जबकि पिछले साल इन देशों की ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक थी। सबसे बड़े प्रदूषक और सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले चीन और अमेरिका अपने शीर्षस्थ प्रतिनिधियों को सम्मेलन में नहीं भेज रहे हैं। दुनिया की 42 प्रतिशत से अधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष चार देशों के शीर्ष नेता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए नहीं आ रहे हैं। जलवायु वैज्ञानिक और ‘क्लाइमेट एनालिटिक्स’ के सीईओ बिल हेयर ने कहा, ‘‘यह कार्रवाई करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का लक्षण है। इसमें कोई तात्कालिकता नहीं दिखती।’’उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि ‘‘हम किस घोर अव्यवस्था में फंसे हुए हैं।’’
50 देशों के नेता देंगे संबोधन
इस सम्मेलन में मंगलवार को अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर और तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन सहित लगभग 50 नेता संबोधित करेंगे। बहरहाल, दुनिया के कुछ सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देशों के नेताओं द्वारा मजबूती से अपनी बात रखने की उम्मीद की जा रही है। कई छोटे द्वीपीय देशों के राष्ट्रपति और अफ्रीका के कई देशों के एक दर्जन से अधिक नेता सीओपी29 सम्मेलन में दो दिवसीय शिखर सम्मेलन को संबोधित करने वाले हैं।
अजरबैजान पर आरोप
संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (सीओपी29) की मेजबानी कर रहे अजरबैजान पर मानवाधिकार संगठनों ने राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और उनके प्रशासन पर जलवायु शिखर सम्मेलन से पहले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सख्ती से दमन करने का आरोप लगाया है। उनका दावा है कि प्रशासन ने जलवायु कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को निशाना बनाया है। अलीयेव के पिता हैदर ने 1993 से लेकर 2003 में अपनी मृत्यु तक अजरबैजान पर शासन किया और उनके बाद इल्हाम ने सत्ता संभाली। दोनों पर असहमति की आवाज दबाने का आरोप लगता रहा है। कैस्पियन सागर के किनारे बसे इस देश की आबादी लगभग एक करोड़ है और यह तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की वजह से समृद्ध है। (एपी)
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