रूस और यूक्रेन की जंग डेढ़ साल बाद भी लगातार जारी है। रूस लगातार यूक्रेन पर हमले कर रहा है। वहीं यूक्रेन भी जोरदार पलटवार करने में पीछे नहीं हट रहा है। इसी बीच बड़ी खबर यह है कि यूक्रेन को इस जंग में अमेरिकी लड़ाकू विमान F-16 की आपूर्ति होने वाली है। सवाल यह उठता है कि क्या लड़ाकू विमान F-16 गेमचेंजर साबित होंगे? क्या रूस की सेना के हौसले पस्त होंगे? अमेरिकी अधिकारी इस आपूर्ति से यूक्रेन को मिलने वाले लाभ इस बारे में क्या कहते हैं?
रूस से जंग लड़ रहे यूक्रेन को जल्द ही F-16 अमेरिकी लड़ाकू विमान मिलने वाले हैं। डेनमार्क और नीदरलैंड्स के द्वारा ये F-16 दिए जाएंगे। अमेरिका ने इसकी मंजूरी दे दी है। दोनों देश 'नाटो' संगठन के देश हैं। यूक्रेन लंबे समय से F-16 लड़ाकू विमान मांग रहा था। अब अमेरिका ने कहा है कि पायलट्स की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद डेनमार्क और नीदरलैंड्स यूक्रेन को ये विमान भेज सकेंगे। ये ट्रेनिंग इसी महीने शुरू होगी। डेनमार्क के कार्यकारी रक्षा मंत्री ट्रोएल्स पोल्सेन ने बताया कि अगले साल की शुरुआत में इसके सकारात्म नतीजे दिखने लगेंगे। वोलोदिमीन जेलेंस्की लंबे समय से इस लड़ाकू विमान की मांग कर रहे थे।
यूक्रेन के लिए F-16 इतने जरूरी क्यों?
रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 को जंग शुरू हुई थी। तब से ही हवाई हमलों में रूसी सेना यूक्रेन पर भारी पड़ रही है। रूस के हवाई हमलों का जवाब देने के लिए यूक्रेन के पास कोई खास विमान नहीं है। यूक्रेन के पास कई लड़ाकू विमान हैं, लेकिन ज्यादातर सोवियत काल के बने हुए हैं। यूक्रेन को घातक रूसी मिसाइल और ड्रोन हमलों से बचाने में मदद करने के लिए आधुनिक लड़ाकू विमानों की जरूरत रही है। इसलिए वह एफ 16 की मांग कर रहा था। F-16 विमान किसी भी मौसम में और रात में भी ज्यादा सटीकता के साथ हमला कर सकता है।
क्या गेमचेंजर साबित होगा F-16?
यूक्रेन को उम्मीद है कि उनके जंगी बेड़े में F-16 विमान आ जाता है तो उनकी ताकत बढ़ जाएगी और वे रूस को और तेजी के साथ पलटवार कर जवाब दे सकेंगे। हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इससे यूक्रेन को बहुत ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। एक अमेरिकी अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि जब ये विमान यूक्रेन को मिलेंगे, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी और ये गेमचेंजर साबित नहीं होगा।
F-16 क्यों है इतना खास?
F-16 की गिनती दुनिया के सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित लड़ाकू विमान में होती है। इसे अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है। अमेरिका ने 1973 में इस विमान का प्रोडक्शन शुरू किया था। दिसंबर 1976 में इसने पहली उड़ान भरी थी। हालांकि, इसकी पहले ऑपरेशनल उड़ान जनवरी 1979 में हुई थी। लॉकहीड मार्टिन के मुताबिक, दुनियाभर में 25 से ज्यादा देशों के पास F-16 विमान हैं। पाकिस्तान के पास भी F-16 हैं।
क्या है खासियत?
F-16 की लंबाई 15 मीटर, चौड़ाई 9.45 मीटर और ऊंचाई 5 मीटर है। ये 15,235 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। अमेरिका के इस लड़ाकू विमान का वजन 9.2 टन है और ये एक बार में 21.7 टन वजन लेकर उड़ सकता है। F-16 की रेंज 4,200 किलोमीटर है। यानी एक उड़ान में ये इतनी दूर जाकर हमला कर सकता है। ये 2,145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है। F-16 सिंगल इंजन वाला मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है। यानी, ये किसी भी तरह के ऑपरेशन में काम कर सकता है।
मिसाइलों से लैस किया जा सकता है F-16 लड़ाकू विमान
F-16 चौथी जनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसमें हवा से हवा और हवा से जमीन में मार करने वाली मिसाइलों को तैनात किया जा सकता है। हालांकि, F-16 में लगनी वाली मिसाइलों की रेंज 100 किलोमीटर है। यानी, इसकी मिसाइलें 100 किमी दूरी तक के टारगेट को ही मार सकतीं हैं। इसके अलावा, F-16 का रडार सिस्टम 84 किलोमीटर के दायरे में 20 टारगेट को डिटेक्ट कर सकता है। बाकी, फाइटर जेट की दमदारी उसे उड़ाने वाले पायलट पर भी निर्भर करती है।
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