मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल बाल्टिक सागर में नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइनों में हुए ब्लास्ट के पीछे यूक्रेन का हाथ होने की खबरों को मंगलवार को खारिज कर दिया। उन्होंने एक बार फिर अमेरिका पर उंगली उठाई और उसे गैस पाइपलाइन के हुए नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया। पुतिन ने 'द न्यूयॉर्क टाइम्स', 'द वॉशिंगटन पोस्ट' और जर्मन मीडिया द्वारा पिछले हफ्ते अज्ञात अमेरिकी तथा अन्य अधिकारियों के हवाले से प्रकाशित खबरों पर यह बयान दिया। इन खबरों में दावा किया गया था कि इस बात के सबूत हैं कि यूक्रेन या कम से कम यूक्रेन के लोग ब्लास्ट के लिए जिम्मेदार थे।
'हमले के लिए किराए का नाव का हुआ था इस्तेमाल'
जर्मनी के अखबार 'डाई जीट' और पब्लिक ब्रॉडकास्टर्स 'ARD' तथा 'SWR' ने दावा किया था कि जांचकर्ताओं का मानना है कि 5 पुरुषों और एक महिला ने हमले को अंजाम देने के लिए पोलैंड में एक यूक्रेनी के मालिकाना हक वाली कंपनी द्वारा किराये पर ली गई नाव का इस्तेमाल किया था। जर्मनी के फेडेरल प्रॉसिक्यूटर्स ने पुष्टि की कि जनवरी में एक नाव की तलाशी ली गई थी, लेकिन उसने खबर में प्रकाशित दावों की पुष्टि नहीं की थी। पुतिन ने इन खबरों को ‘सरासर बकवास’ बताते हुए खारिज कर दिया।
'अमेरिक रोकना चाहता था सस्ती गैस की सप्लाई'
टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान में पुतिन ने कहा, 'ऐसा विस्फोट, इतना शक्तिशाली और इतना नुकसान पहुंचाने वाला, केवल एक्सपर्ट्स द्वारा अंजाम दिया जा सकता है, जिसमें देश की पूरी क्षमताओं का इस्तेमाल किया जाए और जिन्हें अंजाम देने वालों के पास जरूरी टेक्नॉलजी हो।' पुतिन ने जोर देकर कहा कि अमेरिका के पास विस्फोट करने का एक मकसद था। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका जर्मनी को सस्ती रूसी नैचुरल गैस की सप्लाई रोकना चाहता था और उसे ज्यादा महंगी लिक्विफाइड नैचुरल गैस देना चाहता था।
क्रेमलिन ने कहा कि असल बात छिपा रहे हैं पश्चिमी देश
क्रेमलिन ने पिछले हफ्ते कहा था कि पश्चिमी देश असल बात छिपाने के लिए विस्फोट में यूक्रेन का हाथ होने की खबरें चला रहे हैं। नॉर्ड स्ट्रीम-1 और नॉर्ड स्ट्रीम-2 पाइपलाइनों पर सितंबर में हुए विस्फोटों ने उन्हें निष्क्रिय कर दिया था और इससे पाइपलाइनों से रिसाव भी होने लगा था। इन विस्फोटों की अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है। अमेरिकी अधिकारियों ने शुरुआत में रूस के इसके लिए जिम्मेदार होने की बात कही थी। रूस ने इसके लिए अमेरिका और ब्रिटेन को दोषी ठहराया है। इस मामले में डेनमार्क सहित यूरोपीय देशों और जर्मनी द्वारा की जा रही जांच का भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।