Highlights
- बाइडन इस हफ्ते पोलैंड और जर्मनी भेज रहे हैं करीब 2 हजार सैनिक
- पेंटागन के अनुसार जर्मनी से 1000 सैनिक रोमानिया पहुंचा रहे हैं
- पुतिन ने कहा7रूस की सुरक्षा चिंताओं को नजरअंदाज कर रहे यूरोपीय देश
वाशिंगटन। रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन को लेकर तनाव कम नहीं हो रहा है। इस जारी तनाव के बीच अमेरिका ने भी रूस के यूक्रेन सीमा के समीप जमे 1 लाख रूसी सैनिकों के जवाब में और अधिक सैनिकों को यूरोप भेज रहे हैं। यूक्रेन पर रूस के सैन्य आक्रमण की आशंका के बीच नाटो के पूर्वी हिस्से पर अपने सहयोगियों के प्रति अमेरिकी कटिद्धता प्रदर्शित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो.बाइडन इस हफ्ते करीब 2 हजार सैनिक पोलैंड और जर्मनी भेज रहे हैं तथा जर्मनी से 1000 सैनिक रोमानिया पहुंचा रहे हैं। पेंटागन (अमेरिकी रक्षा विभाग) ने बुधवार को यह जानकारी दी।
रूस की कड़ी प्रतिक्रिया, यूएस की सैनिक तैनाती का कोई आधार नहीं
उधर, रूस ने कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया व्यक्त दी है। रूस का कहना है कि इन तैनातियों का कोई आधार नहीं है तथा यह ‘विध्वंसकारी’ है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने टेलीफोन पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से भी बातचीत की। दोनों सरकार की ओर से जारी बयानों के अनुसार उनके बीच बातचीत से कोई बात नहीं बनीं। पुतिन कह रहे हैं कि पश्चिमी देश रूस की सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जबकि जॉनसन ने यूक्रेन की सीमा पर रूस की ‘शत्रुतापूर्ण गतिविधि’ को लेकर गहरी चिंता प्रकट की।
नाटो देशों का मनोबल बढ़ाना तैनाती का मकसद: यूएस
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा कि सैन्यबलों की तैनाती का मकसद अमेरिका और संबद्ध सहयोगियों के रक्षात्मक ठिकानों का अस्थायी रूप से मनोबल बढ़ाना है तथा अमेरिकी सैन्यबल यूक्रेन में दाखिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ये स्थायी कदम नहीं हैं। इसका मकसद यूक्रेन की सीमा के समीप के रूस के करीब 1 लाख सैनिकों के जमावड़े को लेकर बढ़े हुए तनाव के बीच सहयोगियों को आश्वस्त करना है। उन्होंने कहा कि रूसी जमावड़ा यहां तक पिछले 24 घंटे में भी जारी है, जबकि अमेरिका उससे स्थिति नहीं बिगड़ने देने की अपील कर रहा है।
रूसी हमलों से हम नहीं डरते: यूक्रेन
इस बीच रूस के उपविदेश मंत्री एलेक्जेंडर ग्रुशको ने कहा है कि बेबुनियाद विध्वंसक कदमों से सैन्य तनाव बढ़ेगा ही और राजनीतिक निर्णयों के लिए गुजाइंश कम होगी। यूक्रेन के विदेश मंत्री दमिट्रो कुलेबा ने फिर रूसी हमले के डर को तवज्जो नहीं दी और संवाददाताओं से कहा कि यदि रूस ऐसा कदम उठाता है तो यूक्रेन भी जवाब देगा। इस बीच पोलैंड के रक्षा मंत्री मारिउज ब्लासजाक ने ट्वीट किया कि उनके देश के लिए अमेरिका की तैनाती ‘‘यूक्रेन में स्थिति के संदर्भ में एकजुटता का मजबूत संकेत’’ है। पेंटागन ने एक अलग बयान में कहा कि कैवलरी की तैनाती का उद्देश्य आक्रमण रोकना तथा जोखिम बढ़ जाने के दौरान अग्रिम सहयोगियों में अपनी रक्षा क्षमता बढ़ाना है। किर्बी ने कहा कि, ‘‘ महत्वपूर्ण यह है कि नाटो के प्रति अमेरिकी कटिबद्धता के लिए हम पुतिन एवं दुनिया को एक संकेत देते हैं।’’ यूक्रेन की सीमा के नजदीक रूसी सैनिकों के जमावड़े को लेकर रूस के साथ रूकी हुई वार्ता के बीच अमेरिका ने यह कदम उठाया है। अमेरिका ने पूरे यूरोप में बढ़ती इस आशंका को रेखांकित किया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर आक्रमण करने को आतुर हैं और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के पूर्वी यूरोप में छोटे सदस्य देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगली बारी उनकी हो सकती है।
आक्रमण करने की हमारी कोई इच्छा नहीं: रूस
गौरतलब है कि यूक्रेन की सीमा के नजदीक रूस के एक लाख से अधिक सैनिक तैनात करने के बाद यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, रूसी अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि आक्रमण करने की मास्को की कोई मंशा नहीं है। इस बीच, बुधवार को एक स्पेनिश समाचार पत्र में प्रकाशित एक लीक दस्तावेज से यह पता चला है कि यूक्रेन की सीमा से यदि रूस पीछे हटने का फैसला करता है तो यूरोप में मिसाइल की तैनाती पर तनाव को घटाने के लिए अमेरिका उसके(रूस के) साथ एक समझौता करने को इच्छुक हो सकता है। एल पेइस समाचार पत्र ने दो दस्तावेज प्रकाशित किए हैं, जो अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) द्वारा पिछले हफ्ते यूरोप में एक नए सुरक्षा समझौते के लिए रूस के प्रस्तावों को जवाब में लिखे गए थे। हालांकि, अमेरिकी विदेश विभाग ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार किया है। नाटो ने दूसरे दस्तावेज के संदर्भ में कहा कि उसने कथित लीक पर कभी टिप्पणी नहीं की। यह संदेश पिछले हफ्ते नाटो महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग द्वारा मीडिया को दिये बयान को बहुत हद तक प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने रूस की मांगों पर 30 देशों के सैन्य संगठन का रुख बताया था।
इनपुट-भाषा