Wednesday, November 06, 2024
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US Election: अमेरिका में ट्रंप, यूरोप में हड़कंप; जानें जर्मनी, फ्रांस ने यूरोपीय संघ से क्यों एकजुट होने को कहा?

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतते ही यूरोपीय संघ के देशों तहलका मच गया है। यूरोपीय संघ के 2 सबसे ताकतवर देश फ्रांस और जर्मनी ने ट्रंप की नीतियों के मद्देनजर अभी से देशों को एकजुट और सतर्क रहने का आह्वान करना शुरू कर दिया है।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Updated on: November 06, 2024 23:55 IST
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति। - India TV Hindi
Image Source : AP डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति।

पेरिस: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक जीत के बाद भले ही यूरोपीय संघ के लगभग सभी प्रमुख देशों ने ट्रंप को बधाई संदेश भेजा हो, लेकिन अंदर ही अंदर हड़कंप मचा हुआ है। फ्रांस और जर्मनी ने ट्रंप की जीत के बाद यूरोपीय संघ को एकजुट होने का आह्वान तक कर डाला है। इससे घबराहट का स्तर समझा जा सकता है। यूरोपी देशों का कहना है कि ट्रंप की जीत के बाद बदलती परिस्थितियों का बारीकी से समन्वय करना चाहिए।

यूरोपीय ब्लॉक की दो मुख्य शक्तियों, जर्मनी और फ्रांस के नेताओं ने बुधवार को समन्वय के लिए बातचीत के बाद यह प्रतिक्रिया दी है। हालांकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने मंगलवार की ट्रंप की जीत पर उन्हें बधाई दी, लेकिन साथ ही उनकी "अमेरिका फर्स्ट" संरक्षणवादी व्यापार नीति और अलगाववादी बयानबाजी से उत्पन्न चुनौतियों पर भी ध्यान देने पर यूरोपीय संघ के देशों का ध्यान खींचा। 

जर्मनी ने कहा कि यूरोपीय संघ एक साथ हो खड़ा

डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से पेश होने वाली संभावित चुनौतियों से जर्मनी ने यूरोपीय देशों को अभी से सतर्क करना शुरू कर दिया है। जर्मन चांसलर शोल्ज ने संवाददाताओं से कहा यूरोपीय संघ को एक साथ खड़ा होना चाहिए और एकजुट तरीके से कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह और मैक्रो अन्य यूरोपीय संघ के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के साथ मिलकर समन्वय कर रहे हैं। मैक्रों ने एक्स पर कहा कि बर्लिन और पेरिस "नए संदर्भ" के भीतर एकजुट औक मजबूत यूरोप के लिए काम करेंगे। हालांकि, यूरोपीय एकता हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा।

 कम से कम इसलिए नहीं कि पिछले वर्षों में पेरिस और बर्लिन के बीच बढ़ते रक्षा खर्च से लेकर व्यापार तक के वित्तपोषण और विशेष रूप से चीन की इलेक्ट्रिक कारों पर टैरिफ जैसे मुद्दों पर मतभेद बढ़ गए हैं। फ्रांसीसी और जर्मनी के नेता घरेलू स्तर पर भी नाजुक राजनीतिक स्थिति में हैं, इस साल की शुरुआत में चुनावों में हार के बाद मैक्रों ने अपनी अधिकांश शक्ति खो दी है और शोल्ज अपने गठबंधन को एकजुट रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। (रॉयटर्स)

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