मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल में भारत ने जो तरक्की हासिल की है, उस पर अब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की भी मुहर लग गई है। यूएन ने अपनी एक रिपोर्ट में भारतीय लोगों के जीवन स्तर में जबरदस्त सुधार होने की बात को स्वीकारा है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार भारत की जीवन प्रत्याशा के बढ़ने के साथ प्रति व्यक्ति आय में भी शानदार वृद्धि हुई है। यूएन ने भारत की इस प्रगति की सराहना की है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने "लैंगिक असमानता को कम करने में प्रगति" प्रदर्शित की है, जिसका लिंग असमानता सूचकांक 0.437 है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है। इससे साफ हो रहा है कि मोदी सरकार का बेटी बचाओ अभियान भी वैश्विक स्तर पर रंग लाने में सफल हुआ है।
वर्ष 2022 के अनुसार भारत में जीवन प्रत्याशा का औसत 62.2 था जो अब बढ़कर 67.7 हो गया है। इसके साथ ही सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई, प्रति व्यक्ति) बढ़कर 6951 डॉलर (5.76 लाख रुपये) हो गई है। यानि यह गत 12 महीनों में 6.3 प्रतिशत की जबरदस्त छलांग है। यह बात संयुक्त राष्ट्र का मानव विकास सूचकांक या एचडीआई रिपोर्ट में कही गई है। एचडीआई रिपोर्ट ने स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में वृद्धि (प्रति व्यक्ति 12.6 तक) का भी संकेत दिया है।
134वें पायदान पर भारत
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जीवन प्रत्याशा में शानदार वृद्धि हुई है। वर्ष 2022 में देश का एचडीआई स्कोर 0.644 है था। मगर संयुक्त राष्ट्र की 2023/24 की रिपोर्ट रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड' में भारत अब 193 में से 134वें स्थान पर है। यह इसे 'मध्यम मानव विकास' श्रेणी में रखता है। गौरतलब है कि 2022 के लिए भारत के एचडीआई स्कोर में एक साल पहले की गिरावट और उससे पहले के वर्षों में एक सपाट प्रवृत्ति के बावजूद 2023-24 में यह वृद्धि देखी गई। भारत का 1990 का एचडीआई 0.434 था, जिससे 2022 के स्कोर में 48.4 प्रतिशत का सकारात्मक बदलाव आया।
एचडीआई का तात्पर्य मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों - लंबा और स्वस्थ जीवन, शिक्षा तक पहुंच और सभ्य जीवन स्तर में औसत उपलब्धियों के आकलन से है। भारत में व्यक्तिगत पूंजी में लगभग 287 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।"
लैंगिक असमानता रिपोर्ट में सुधार
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने "लैंगिक असमानता को कम करने में प्रगति" प्रदर्शित की है, जिसका लिंग असमानता सूचकांक या जीआईआई 0.437 है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है। जीआईआई सूची में तीन प्रमुख आयामों - प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और श्रम बाजार भागीदारी पर देशों को रैंक किया जाता है। इस मामले में भारत 166 देशों में से 108वें स्थान पर है। प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल 'मध्यम एचडीआई' श्रेणी में अन्य देशों की तुलना में बेहतर है। यह सुधार सरकार के "निर्णायक एजेंडे...दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास के उद्देश्य से नीतिगत पहलों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने" के प्रयास से संभव हुआ है।
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