Monday, November 25, 2024
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न रोशनी, न हवा... भूख, खौफ और दर्द के बीच अंधेरे बेसमेंट में रहे 300 से ज्यादा लोग, सामने आईं तस्वीरें, जानिए क्यों लाशों के बीच रहना पड़ा?

31 मार्च तक, यानी जब तक यूक्रेनी सेना ने गांव को आजाद नहीं करा लिया, तब तक 300 से अधिक लोग, जिनमें 77 बच्चे भी शामिल हैं, उन्हें गांव के स्कूल के एक बेसमेंट के कमरों में कैद करके रखा गया।

Written By: Shilpa
Updated on: July 15, 2022 16:21 IST
Russia Ukraine war- India TV Hindi
Image Source : TWITTER Russia Ukraine war

Highlights

  • अंधेरे बेसमेंट में 300 से अधिक लोग एक महीने तक रहे
  • इस बीच कई बंधकों की मौत भी हो गई थी
  • दीवारों पर कैद लोगों और मृतकों की संख्या लिखी गई

People Trapped in Dark Basement: सोचिए अगर आपको कोई एक दिन नहीं बल्कि एक महीने के लिए किसी अंधेरे बेसमेंट में कैद कर दे, तो आपको कैसा लगेगा? सुनने में ही ये बात काफी डराने वाली लग रही है। महीने भर तक बिना हवा, सूरज की रोशनी के रहना कितना मुश्किल होगा। लेकिन सैकड़ों लोगों के साथ ऐसा वास्तव में हुआ है। ये मामला यूक्रेन के याहिद्ने गांव का है। जहां रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के इन ग्रामीणों एक महीने से अधिक समय तक बेसमेंट में बंधक बनाकर रखा है। लोगों का कहना है कि तबाह हुए गांव को तो दोबारा ठीक कर लिया जाएगा, लेकिन वो डरावनी यादें और गहरा दर्द कैसे जाएगा। 

रूस ने यूक्रेन पर पहला हमला 24 फरवरी को किया था, इसके आठ दिन बाद 3 मार्च को रूसी सेना याहिद्ने में आ गई, ये गांव यूक्रेन की राजधानी कीव के उत्तर में मेन रोड पर है। 31 मार्च तक, यानी जब तक यूक्रेनी सेना ने गांव को आजाद नहीं करा लिया, तब तक 300 से अधिक लोग, जिनमें 77 बच्चे भी शामिल हैं, उन्हें गांव के स्कूल के एक बेसमेंट के कमरों में कैद करके रखा गया। इनका इस्तेमाल रूसी सैनिकों ने मानवीय ढाल के तौर पर किया था। इस दौरान बंधक बनाए गए 10 लोगों की मौत हो गई। बंधक बनाए गए लोगों में एक नवजात बच्चा और एक 93 साल का बुजुर्ग भी शामिल था। ये जानकारी यूक्रेन के अभियोजन पक्ष ने दी है। 

यातना शिविर की तरह था बेसमेंट 

Russia Ukraine war

Image Source : TWITTER
Russia Ukraine war

यहां कैद रहे 54 साल के ओलेब तुराश ने बताया कि अंदर बहुत ठंड थी। लोगों ने शरीर में गर्मी पैदा करने के लिए अपने शरीर बांध लिए थे। उसने कहा, 'यह हमारा यातना शिविर था।' उन्होंने वहां जान गंवाने वाले लोगों को दफनाने का काम भी किया है। उन्होंने बताया कि अधिकतर समय तक वहां रोशनी नहीं आती थी। इसके अलावा पूरी तरह सांस लेने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं थी। बुजुर्ग बड़बड़ाने लगे थे। लोगों ने सांस लेने के लिए एक छोटा सा छेद किया था। बेसमेंट के एक कमरे के बाहर लोगों की संख्या 139 लिखी थी। जिनमें से तीन की मौत हो गई। बाद में ये संख्या 136 की गई।

बुजुर्ग महिला का दांया हाथ टूटा

Russia Ukraine war

Image Source : TWITTER
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73 साल की वलेनतना ने बताया कि उनके आसपास तीन लोगों की मौत हुई थी। बेसमेंट की सीढ़ियां उतरते समय वह गिर गईं और उनका दांया हाथ टूट गया। लेकिन कोई इलाज नहीं मिला। उनकी कलाई तीन महीने बाद भी सूजी हुई है। उनका कहना है कि वह अब भी दर्द झेल रही हैं और अपनी उंगलियों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहीं। जिस कमरे में वह थीं, वहां हिलने की भी जगह नहीं थी। उनका कहना है कि उन्होंने वहां 30 दिन गुजारे। दो बार ऑक्सीजन की कमी के कारण वह बेहोश हो गईं। बड़ी मुश्किल से वह जीवित बाहर आई हैं। एक छोटे से कमरे में 22 लोग कैद थे। इनमें पांच बच्चे शामिल थे। वहां भी दीवार पर यही संख्या भी लिखी गई थी। जिसे बाद में किसी ने काटते हुए 18 कर दिया।  

दीवारों पर मृतकों की संख्या लिखी गई

Russia Ukraine war

Image Source : TWITTER
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वहीं एक अन्य दीवार पर मृतकों की संख्या और उनकी मौत की तारीख लिखी गई थी। रूसी सैनिकों ने बीच में कई बार लोगों को मृतकों के शवों को स्कूल के दूसरे कमरे में ले जाने की इजाजत दे दी थी। ये वही कमरा था, जहां से लोगों को पीने के लिए पानी मिलता था। लोगों को पानी लाने के लिए खुली हुई सीवर लाइन को लांघकर जाना पड़ता था। पानी को पीने से पहले उसे उबाला जाता था। तुराश का कहना है कि 'आप कल्पना कर सकते हैं कि कैसे टेबल के आसपास यहां शव होते थे। लाशों के ठीक पास हम उस पानी को उबाल रहे होते थे, जो हमें पीना था।'  स्कूल के बाहर रूस के हथियार तैनात थे। अब लोगों के बेसमेंट में रहने के दौरान की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं।

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