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Ukraine War: टॉर्चर रूम- न खाना, न पानी... दुश्मन से ज्यादा अपने खुद के सैनिकों को 'तड़पा' रहा रूस, पुतिन के आदेश पर दी जा रहीं यातनाएं, आखिर क्यों?

रूसी सेना का कानून सैनिकों को लड़ने से मना करने की अनुमति देता है। लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सैन्य बलों की कमी का सामना कर रहे कमांडर अक्सर उनकी मांगों को ठुकरा देते हैं या लड़ाई में बने रहने की धमकी देते हैं।

Written By: Shilpa
Published : Jul 31, 2022 12:52 IST, Updated : Jul 31, 2022 12:58 IST
Russian Soldiers Torcher Room
Image Source : AP Russian Soldiers Torcher Room

Highlights

  • अपने सैनिकों को यातनाएं दे रहा रूस
  • सैनिकों को टॉर्चर रूम में रखा जा रहा
  • पुतिन का आदेश न मानने पर दे रहा सजा

Ukraine War: रूस का यूक्रेन के साथ बीते 5 महीनों से भीषण युद्ध चल रहा है। फरवरी में 'विशेष सैन्य अभियान' के नाम पर रूस ने यूक्रेन पर पहला हमला किया था, जिसके बाद से दोनों ही देशों के न केवल हजारों सैनिकों बल्कि आम लोगों ने भी जान गंवाई है। लेकिन अब जो खबर सामने आई है, वह काफी हैरान कर देने वाली है। रूस से जुड़ी खबर ये है कि वह अपने दुश्मनों से भी बुरा हाल अपने सैनिकों का कर रहा है। जो सैनिक राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का आदेश नहीं मान रहे, उन्हें सख्त सजा दी जा रही है। रूस के ही मैक्सिम कोचेतकोव को जापान के पास एक द्वीप पर कैद करके रखा गया है, ये जगह उनके घर से 10,000 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

मैक्सिम रूस के उन सैनिकों में से एक हैं, जो युद्ध बंदी हैं और यूक्रेन के खिलाफ जंग नहीं लड़ना चाहते। 20 साल के मैक्सिम को दूसरे हजारों रूसी सैनिकों की तरह ही सजा दी गई है। क्योंकि उन्होंने यूक्रेन पर हमला करने के पुतिन के आदेश को स्वीकार नहीं किया था। इनमें से अधिकतर रूस के बाहरी इलाके या गरीब इलाकों से हैं। सैनिकों की दुर्दशा पिछले हफ्ते अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के इस दावे को पुष्ट करती है कि रूसी सेना में अनुशासन और मनोबल के साथ-साथ अन्य कई समस्याएं भी हैं। डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी मीडिया रिपोर्ट्स में भी इस तरह के दावों की पुष्टि हुई है। एक रिपोर्ट में तो बकायदा यूक्रेन संग जंग लड़ने से इनकार करने वाले सैनिकों की संख्या बताई गई है।

टॉर्चर रूम में रखे जा रहे सैनिक

ऐसे सैनिकों की संख्या 1793 है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति का कार्यालय) से जुड़े भाड़े के सैनिकों ने कई सैनिकों को लुहान्स्क में "टॉर्चर रूम" और तहखानों में कैद करके रखा है। रूसी अधिकारी सैनिकों को फ्रंटलाइन पर जाने के लिए धमका रहे हैं। एक स्वतंत्र रूसी समाचार पत्र, वर्स्टका के अनुसार, लुहान्स्क के ब्रायंका शहर में कम से कम 234 लोगों को हिरासत केंद्रों में रखा गया है। एक शख्स ने बताया कि उसके बेटे को 33 अन्य लोगों के साथ दो हफ्ते तक बेसमेंट में रखा गया था। एक महिला ने कहा कि उसके बेटे को 12 जुलाई को गिरफ्तार किया गया और बिना भोजन, पानी और बिजली के अंडरग्राउंड जगह पर रखा गया। इसी तरह एक और शख्स ने अपने बेटे को 'टॉर्चर रूम' में रखे जाने के बारे में बताया है।

रूसी सेना का कानून सैनिकों को लड़ने से मना करने की अनुमति देता है। लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि सैन्य बलों की कमी का सामना कर रहे कमांडर अक्सर उनकी मांगों को ठुकरा देते हैं या लड़ाई में बने रहने की धमकी देते हैं। 200 के समूह में से एक सैनिक, जिसने लड़ने से इनकार कर दिया, ने कहा कि उनमें से कुछ ही अपने घरों को लौट पाए हैं। जबकि कई अन्य को ब्रिंका के तहखाने में कैद कर दिया गया था या वापस फ्रंटलाइन में भेज दिया गया था।

दोनों ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया

इस युद्ध के जुडे़ ताजा घटनाक्रम की बात करें, तो  रूस ने यूक्रेन के कई शहरों में शुक्रवार की रात को हमले किए थे। यूक्रेनी अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। यूक्रेन और रूस के अधिकारियों ने देश के पूर्वी हिस्से में अलगाववादियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र में कई यूक्रेनी बंदियों की मौत के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और रेडक्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति का कर्तव्य है कि वह दोनेत्स्क प्रांत में एक जेल परिसर में गोलाबारी के बाद कार्रवाई करे। 

जेलेंस्की ने शुक्रवार देर रात एक वीडियो संबोधन में कहा, ‘यह एक जानबूझकर किया गया रूसी युद्ध अपराध है।’ दोनों पक्षों ने आरोप लगाया कि जेल पर हमला पूर्व नियोजित था और इसका उद्देश्य यूक्रेनी बंदियों को चुप कराना और अत्याचारों के सबूत नष्ट करना था। अलगाववादी अधिकारियों और रूसी अधिकारियों ने कहा कि हमले में 53 यूक्रेनी युद्ध बंदियों (पीओडब्ल्यू) की मौत हो गई और 75 अन्य घायल हो गए हैं।

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