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भारत और रूस की दोस्ती पर सवाल उठाने वालों को मिलेगा करारा झटका, खुद पुतिन देंगे जवाब, रूसी विदेश मंत्रालय का खुलासा

पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस की यात्रा की थी। इसके बाद भी ये कहा जाने लगा था कि चीन के बहकावे में रूस भारत के विरोध में न चला जाए। लेकिन रूस की ओर से भी भारत के साथ दोस्ती को हमेशा तवज्जो दी गई।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Apr 02, 2023 16:11 IST, Updated : Apr 02, 2023 23:54 IST
भारत और रूस की दोस्ती पर सवाल उठाने वालों को मिलेगा करारा झटका, खुद पुतिन देंगे जवाब, रूसी विदेश मंत
Image Source : FILE भारत और रूस की दोस्ती पर सवाल उठाने वालों को मिलेगा करारा झटका, खुद पुतिन देंगे जवाब, रूसी विदेश मंत्रालय का खुलासा

Russia-India: भारत और रूस की दोस्त का इतिहास काफी पुराना है। दोनों दोस्त परंपरागत रूप से दोस्त हैं।  मिखाइल गोर्वाचोव से भी पहले और उसके बाद बोरिस येल्तसिन के बाद पिछले करीब दो दशक से व्लादिमीर पुतिन इस बात का गवाह हैं कि भारत और रूस परंपरागत रूप से सुख दुख के साझीदार हैं। जब यूक्रेन से जंग की शुरुआत हुई तो भारत पर पूरी दुनिया ने इस बात का दबाव बनाया कि वह रूस के खिलाफ बयान दे, लेकिन भारत ने अपनी दोस्ती को सबसे पहली अहमियत दी और दबाव के आगे नहीं झुका। हालांकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जरूर पुतिन से कहा कि जंग उचित नहीं है। अमेरिका ने पूरा दबाव भारत पर बनाया, लेकिन रूस की कसौटी पर भारत खरा उतरा।

पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस की यात्रा की थी। इसके बाद भी ये कहा जाने लगा था कि चीन के बहकावे में रूस भारत के विरोध में न चला जाए। लेकिन रूस की ओर से भी भारत के साथ दोस्ती को हमेशा तवज्जो दी गई। 

दोस्ती की खातिर रूस भारत को सस्ती दरों पर दे रहा कच्चा तेल

दोस्ती की ही खातिर रूस भारत को लगातार सस्ती दर पर कच्चा तेल बेच रहा है। अब पुतिन की ओर से रूसी विदेश नीति दस्तावेजों में कहा गया है कि वह भारत के साथ विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना जारी रखेंगे। इसके अलावा कहा गया है कि भारत के साथ रूस पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएगा।

रूसी विदेश नीति का दस्तावेज करता है दोस्ती की वकालत

यह दस्तावेज एक ऐसे समय में जारी किया गया है जब कुछ दिनों पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस की यात्रा की थी। माना जा रहा था कि युद्ध के बीच इस यात्रा से रूस का झुकाव चीन की ओर बढ़ेगा। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि रूस और भारत की दोस्ती के लिए खतरा बनने वाली ताकतों को जवाब देने के लिए रूस द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और तकनीकी संबंधों को और भी बढ़ाएगा। इस दस्तावेज को तब मंजूरी दी गई है, जब यूक्रेन युद्ध के कारण रूस और अमेरिका के बीच तनाव है।

भारत जी20 की कर रहा मेजबानी

इंडोनेशिया में हुए जी 20 सम्मेलन में पुतिन शामिल नहीं हुए थे। जी 20 में रूस की शेरपा स्वेतलाना लुकाश ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के भारत में एससीओ और जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है। रूस इनके जरिए भारत से अपने संबंधों को मजबूत करने की उम्मीद कर रहा है। भारत इस साल सितंबर में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

जी 20 में शामिल हो सकते हैं पुतिन

युद्ध के कारण अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। वहीं सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक रूप से यूक्रेन की मदद कर रहा है।  दस्तावेज में कहा गया है कि एक बहुध्रुवीय दुनिया बनाने के लिए ब्रिक्स, एससीओ, सीआईएस, इएइयू, सीएसटीओ, आरआईसी जैसे  अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में रूस मजबूत भागीदारी दिखाएगा। दस्तावेज के अलावा अधिकारियों का कहना है कि पुतिन भारत में होने वाले एससीओ और जी 20 सम्मेलन में हिस्सा ले सकते हैं।

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