भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक रहा लंदन स्थित इंडिया क्लब रविवार 17 सितंबर को स्थायी रूप से बंद हो जाएगा। इंडिया क्लब से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की ढेर सारी यादें जुड़ी रही हैं। यह भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए वर्षों तक स्वदेश से दूर एक केंद्र रहा है। इसकी दीवारें पूर्व प्रधानमंत्रियों जैसे प्रमुख भारतीयों की तस्वीरों से सजी हैं। इस क्लब के संस्थापक सदस्य कृष्ण मेनन थे, जो ब्रिटेन में स्वतंत्र भारत के पहले उच्चायुक्त बने। इंडिया क्लब ब्रिटेन के शुरुआती भारतीय रेस्तरां में से एक था और भारतीय स्वतंत्रता के बाद यह ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय के लिए एक केंद्र बन गया। क्लब की प्रबंधक फिरोजा मार्कर ने कहा, ‘‘जब से लोगों को पता चला है कि हम क्लब को 17 सितंबर से बंद कर रहे हैं, यहां पर काफी भीड़ एकत्रित हो रही है।
’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम क्लब बंद कर रहे हैं, लेकिन इसे आसपास स्थानांतरित करने के लिए नये परिसर की तलाश कर रहे हैं।’’ पारसी मूल के यादगर मार्कर अपनी पत्नी फ्रेनी और बेटी फिरोज़ा के साथ प्रतिष्ठान चलाते रहे हैं। उन्होंने इसे 1997 में लिया था। उस वक्त इसकी स्थिति अत्यंत खराब थी। परिवार ने ‘सेव इंडिया क्लब’ अपील शुरू की थी और कुछ साल पहले इमारत को आंशिक रूप से ध्वस्त होने से बचाने के लिए उस वक्त प्रारंभिक लड़ाई जीती थी, जब एक अत्याधुनिक होटल के लिए रास्ता बनाने के वास्ते उन्हें मकान मालिकों द्वारा नोटिस दिया गया था। मध्य लंदन स्थित इस क्लब में आने वाले लोग यहां पर गर्म डोसा और पकौड़े का आनंद उठाते थे। ब्रिटिश भारतीय इतिहासकार एवं पत्रकार श्रावणी बसु ने कहा, ‘‘लंदन स्थित एक भारतीय पत्रकार के रूप में, यह हमारे लिए एक प्रेरणा स्रोत था।
क्लब बंद होने की सूचना से भावुक हुए भारतीय
ऐतिहासिक बार में अब बीयर और पकौड़े नहीं मिलेंगे। हमें इसकी कमी महसूस होगी।’’ इंडिया क्लब के अन्य संस्थापक सदस्यों में से एक- पत्रकार चंद्रन थरूर की लंदन में रह रही बेटी स्मिता थरूर अपने भाई एवं कांग्रेस सांसद शशि थरूर तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ नियमित रूप से इस क्लब में आती रहती थीं। उन्होंने कहा, ‘‘इंडिया लीग के कई पूर्व नेताओं और संस्थापकों ने इंडिया क्लब बनाया था। इसका उद्देश्य लंदन में रहने वाले भारतीयों के लिए स्वदेश से दूर एक जगह मुहैया कराना था। जब हम भारत में बड़े हो रहे थे तो मेरे पिता हमें इसकी कहानियां सुनाते थे।’
’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए, क्लब का बंद होना बहुत भावनात्मक और दुखद है, क्योंकि यह मेरे पिता की स्मृतियों से जुड़ा रहा है और जब भी मुझे उनकी याद आती थी तो मैं यहां आ जाती थी। वर्ष 1993 में 63 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। यह सिर्फ भारतीय व्यंजन के स्वाद लेने की जगह नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह है जो हमें अतीत की याद दिलाती है।’(भाषा)
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