Sunday, December 22, 2024
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सिर पर नाच रही मौत की "मिसाइल" और डरा रहा बर्बादी का "बम", फिर भी 24 घंटे काम कर रहे यूक्रेनी

Russia-Ukraine War: यूक्रेन में लोगों के घरों, दफ्तरों और अन्य कार्यस्थलों पर लगातार रूसी बम, मिसाइलें और रॉकेट हमला कर रहे हैं। इसके बावजूद यूक्रेनी लोगों का काम बंद नहीं हुआ है। मिसाइलों और बम हमलों के बीच भी यूक्रेन के लोग 24 घंटे काम में जुटे हैं।

Written By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jan 23, 2023 8:13 IST, Updated : Jan 24, 2023 6:44 IST
यूक्रेनी नागरिक (प्रतीकात्मक फोटो)
Image Source : AP यूक्रेनी नागरिक (प्रतीकात्मक फोटो)

Russia-Ukraine War: यूक्रेन में लोगों के घरों, दफ्तरों और अन्य कार्यस्थलों पर लगातार रूसी बम, मिसाइलें और रॉकेट हमला कर रहे हैं। इसके बावजूद यूक्रेनी लोगों का काम बंद नहीं हुआ है। मिसाइलों और बम हमलों के बीच भी यूक्रेन के लोग 24 घंटे काम में जुटे हैं। जबकि उन्हें पता है कि किसी भी क्षण कोई बड़ी मिसाइल या बम उनके सिर पर भी गिर सकता है और इससे उनकी जान जा सकती है। सिर पर 24 घंटे मौत नाचते होने के बावजूद लोग काम से पीछे नहीं हट रहे। कभी वह दफ्तरों और कंपनियों में काम कर रहे हैं तो कभी हमलों से प्रभावित लोगों की मदद कर रहे हैं। यूक्रेनी लोगों का यह हौसला वाकई कमाल का है।

रूस और यूक्रेन युद्ध को चलते अब 11 महीने होने को हैं। इस दौरान रोजमर्रा की जिंदगी चलाने और रोजाना की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए यूक्रेन में छोटे-बड़े उद्योगों और दफ्तरों में काम जारी है। क्योंकि उत्पादन नहीं होगा तो लोगों के सामने भूखों मरने की नौबत आ सकती है। इसलिए रूसी बमों और मिसाइलों के हमले जारी रहने के बीच भी यूक्रेन के लोगों को मौत का खौफ त्यागकर 24 घंटे काम करना पड़ रहा है। हालांकि 24 घंटे काम का मतलब यह नहीं है कि हर व्यक्ति 24 घंटे काम कर रहा है, बल्कि शिफ्टों में काम हो रहा है, लेकिन चौबीसों घंटे काम जारी है। जबकि दिन और रात हवाई हमलों के सायरन उन्हें हमेशा दहशत में डालने का प्रयास करते हैं। इसके बावजूद लोग जान हथेली पर लेकर काम को प्राथमिकता दे रहे हैं। क्या दिन हो और क्या रात...यूक्रेनी लोगों का यह हौसला देखकर हर कोई हैरान है।

निप्रो शहर में रूसी हमले के दौरान भी काम में जुटे थे लोग

यूक्रेन के निप्रो शहर में अभी कुछ दिन पहले जब रूस ने हजारों टन वजनी मिसाइल से भीषण हमला किया तो उस दौरान भी लोग काम ही कर रहे थे। कुछ लोग दोपहर के वक्त घरों में आराम भी कर रहे थे तो कुछ लोग किचन में थे। 12 साल का रोस्तिस्लाको यारोशेंक भी अपने तीन मंजिला मकान में टिकटॉक वीडियो बना रहा था। इसी दौरान रूसी मिसाइल ने सेकेंडों और मिनटों में आकर इमारत पर गिर गई। इसमें सबकुछ तबाह हो गया। इस बिल्डिंग में बच्चों समेत 46 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई। कई दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ लोगों को 24 से 36 घंटे बाद भी मलबे से जीवित निकाला गया।

सौभाग्य की बात है कि रोस्तिस्लाको यारोशेंक भी इस हमले में जिंदा बच गया। उसे भी यूक्रेनी सुरक्षा बलों ने रेस्क्यू कर लिया। मगर उसकी बिल्ली नहीं मिल रही थी। इसके बाद उसे भी ढूंढ़ा गया। इसी मलबे में दबी दो महिलाओं को 24 और 36 घंटे बाद जीवित निकाला गया था।  न्यूयॉर्क टाइम की एक रिपोर्ट के अनुसार काफी लोगों की मौत काम के दौरान ही हो गई। इसके बावजूद लोग एक दूसरे की मदद को तत्पर दिख रहे हैं। लोगों में जीने की यही जिद और जीवटता यूक्रेन को रूस से लड़ने का हौसला दे रही है।

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