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Explainer: मॉस्को पहुंचे चीनी राष्ट्रपति, जिनपिंग-पुतिन की मुलाकात पर दुनिया की नजर, क्या रुकेगी रूस-यूक्रेन में जंग?

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किए जाने के बाद पहली बार कोई बड़ा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन से मुलाकात करने जा रहा है। इस मुलाकात से चीन का हित यह है कि वह अपने सबसे बड़े दुश्मन अमेरिका को कूटनीतिक मात देना चाहता है।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published : Mar 20, 2023 16:38 IST, Updated : Mar 20, 2023 23:57 IST
मॉस्को पहुंचे चीनी राष्ट्रपति, जिनपिंग-पुतिन की मुलाकात पर दुनिया की नजर
Image Source : AP FILE मॉस्को पहुंचे चीनी राष्ट्रपति, जिनपिंग-पुतिन की मुलाकात पर दुनिया की नजर

Russia-China: अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चीन के राष्ट्रपति विशेष विमान से सोमवार को रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच गए हैं। यहां उनकी मुलाकात अपने समकक्ष रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होगी। 20 मार्च की दोपहर राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक विशेष विमान से रूस की राजधानी मास्को पहुंचे। पुतिन और जिनपिंग की मुलाकात पर कीव की नजर भी बनी हुई है। यूक्रेन को उम्मीद है कि इस मुलाकात से जंग रुकने का कोई फॉर्मूला निकलकर सामने आ सकता है।

जिनपिंग पुतिन की बातचीत से निकलेगा जंग खत्म होने का फॉर्मूला?

जिस तरह से  हाल ही में चीन ने अपने देश में दुनिया के सबसे बड़े शिया मुस्लिम देश ईरान और सबसे बड़े सुन्नी देश सऊदी अरब के बीच दोस्ती कराई। उससे यह लग रहा है कि इस यूक्रेन और रूस की जंग को रोकने का भी कोई फॉर्मूला इस मुलाकात में निकल सकता है। क्योंकि चीन इस तरह के समझौतों से ये भी जताना चाहता है कि जो काम अमेरिका नहीं कर सकता, वो चीन करके दिखा रहा है। हालांकि जंग का हल निकालना इतना आसान नहीं है, लेकिन जानकारी के अनुसार जिनपिंग का यूक्रेन के राष्‍ट्रपति जेलेंस्‍की से भी बातचीत का प्‍लान है।

पुतिन से मुलाकात में चीन का क्या हित?

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किए जाने के बाद पहली बार कोई बड़ा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन से मुलाकात करने जा रहा है। इस मुलाकात से चीन का हित यह है कि वह अपने सबसे बड़े दुश्मन अमेरिका को कूटनीतिक मात देना चाहता है। ये पहले से ही कहा जा रहा है कि यूक्रेन के पक्ष में जिस तरह से अमेरिका और नाटो खुलेआम मदद कर रहे हैं। उसे टक्कर देने के लिए एक नया गुट आकार ले रहा है। यह गुट और कोई नहीं बल्कि चीन, रूस, उत्तर कोरिया का बनता दिख रहा है। हालांकि चीन ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन जंग की सुलह और अमेरिका के खिलाफ रूस और चीन की साझा रणनीति इस मुलाकात में आकार ले सकती है।

रूस से दोस्ती दिखाकर अमेरिका को चीन देना चाहता है बड़ा संदेश

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक रूसी अखबार में पिछले दिनों एक लेख लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि रूस यात्रा के दौरान 12 सूत्रीय प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। अब यह दौरा जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति चुने जाने के बाद हो रहा है। यह दौरा इसलिए भी अहम हो सकता है कि रूस को चीन यह मैसेज देना चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस अलग थलग नहीं पड़ा है, बल्कि पश्चिमी देशों से शत्रुता के बीच चीन उसके साथ खड़ा है।

पहले न्यूट्रल था, अब खुलकर रूस का पक्षधर हो रहा चीन

संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन और रूस की जंग के बीच जितनी बार भी रूस के खिलाफ प्रस्ताव लाए गए हैं, चीन ने उससे किनारा ही किया है। उसने वोटिंग में भाग नहीं लिया है। लेकिन अब वह खुलकर रूस के पक्ष में खड़ा हो गया है। हाल के दौर में पहली बार किसी बड़े राष्ट्राध्यक्ष ने रूस का दौरा किया है। 

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