जिस ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) ने कुछ माह पहले गुजरात दंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री बनाई थी, अब उसके प्रमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया है। हालांकि बीबीसी प्रमुख के इस्तीफे का गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि उन्होंने ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन से जुड़े एक मामले में इस्तीफा दिया है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर ये पूरा मामला है क्या, जिसके चलते बीबीसी चीफ रिचर्ड शॉर्प को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ा।
आपको बता दें कि बीबीसी के प्रमुख रिचर्ड शार्प ने पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आठ लाख पाउंड का ऋण दिलाने में अपनी भूमिका का खुलासा नहीं करके नियमों को तोड़ने संबंधी रिपोर्ट के बाद शुक्रवार को यह इस्तीफा दिया है। ब्रिटेन के करदाताओं के पैसे से वित्तपोषित ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (बीबीसी) के अध्यक्ष 67 वर्षीय पूर्व बैंकर ने कहा कि जांच में पाया गया है कि उन्होंने सरकारी नियुक्तियों के लिए शासन संबंधी संहिता का उल्लंघन किया था। बैरिस्टर एडम हेप्पिन्स्टॉल के नेतृत्व में की गयी स्वतंत्र समीक्षा में शार्प की नियुक्ति और जॉनसन को आठ लाख पाउंड का ऋण दिलाने में उनकी संलिप्तता की पड़ताल की गयी।
शॉर्प ने नियमों के उल्लंघन की बात को नकारा
पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा उन्हें नियुक्त किये जाने से महज कुछ सप्ताह पहले ऋण दिलाने में मदद की गयी थी। शार्प ने एक बयान में कहा, ‘‘हेप्पिन्स्टॉल का मत है कि मैंने सरकारी नियुक्तियों के लिए शासन संहिता का उल्लंघन किया, वहीं उनका कहना है कि उल्लंघन से कोई नियुक्ति आवश्यक रूप से अवैध नहीं हो जाती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, मैंने हमेशा यह कहा है कि उल्लंघन अनजाने में हुआ था। फिर भी, मैंने तय किया है कि बीबीसी के हितों को प्राथमिकता देना सही है। मुझे लगता है कि अगर मैं अपने कार्यकाल के अंत तक इस पद पर बना रहा तो यह मामला अच्छे काम से ध्यान भटकाने वाला हो सकता है। इसलिए मैंने आज सुबह बीबीसी के अध्यक्ष के रूप में विदेश मंत्री और बोर्ड को इस्तीफा दे दिया है।’’ शार्प ने कहा, ‘‘इस शानदार संगठन की अगुवाई करना सम्मानजनक रहा।
भूमिका से इन्कार, चूक स्वीकार
‘द सन्डे टाइम्स’ अखबार की खबर में किये गये दावों की पड़ताल करने के लिए ब्रिटेन के सार्वजनिक नियुक्ति आयुक्त ने हेप्पिन्स्टॉल की नियुक्ति की थी। शार्प के मुताबिक रिपोर्ट कहती है कि उन्होंने ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री के लिए ऋण की सुविधा, व्यवस्था या वित्तपोषण में कोई भूमिका नहीं निभाई’’। लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें ब्रिटिश कैबिनेट मंत्री साइमन केस और कारोबारी सैम ब्लीथ के बीच बैठक के बंदोबस्त में अपनी भूमिका का खुलासा बीबीसी में वरिष्ठ पद को संभालने से पहले जांच-पड़ताल की प्रक्रिया के दौरान नियुक्ति समिति के समक्ष करना चाहिए था। उन्होंने माना कि ऐसा नहीं करना चूक थी और इसके लिए उन्होंने खेद जताया। शार्प ने कहा कि वह किसी और के नियुक्त होने तक पद पर बने रहेंगे और जून तक इसकी संभावना है। बीबीसी प्रमुख की नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर की जाती है। कंजर्वेटिव पार्टी के दानदाता शार्प ने सरकार की सिफारिश पर बीबीसी अध्यक्ष पद पर नियुक्त होने से कुछ हफ्ते पहले, 2021 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जॉनसन के लिए ऋण की व्यवस्था करने में मदद की थी।
बीबीसी को करना पड़ रहा आलोचनाओं का सामना
इस खुलासे के बाद से सरकार द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय प्रसारणकर्ता बीबीसी आलोचनाओं का सामना कर रहा है। गोल्डमैन सैक बैंक में काम कर चुके शार्प उस समय निजी क्षेत्र में काम कर रहे ऋषि सुनक के बॉस होते थे। सुनक फिलहाल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री हैं। सुनक ने विवाद में नहीं पड़ते हुए कहा, ‘‘रिचर्ड शार्प ने उस समय स्वतंत्र नियुक्ति प्रक्रिया को संचालित किया जब मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं था। उन्हें मेरे प्रधानमंत्री बनने से पहले नियुक्त किया गया था।’
’ बीबीसी प्रमुख के शुक्रवार को इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए सुनक ने कहा कि उन्होंने शार्प के मामले में रिपोर्ट को नहीं देखा है और उन्होंने ऐसा कोई आश्वासन नहीं दिया कि शार्प की जगह कोई अराजनीतिक व्यक्ति इस पद पर आएगा। सुनक ने ग्लासगो में संवाददाताओं से कहा, ‘‘नियुक्ति की एक प्रक्रिया है और मैं उस बारे में पहले से कुछ नहीं कह सकता।’’ बीबीसी के महानिदेशक टिम डेवी ने कहा कि शार्प ने बीबीसी में बदलाव और इसकी सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।