वाशिंगटन: यूरोप का एक अहम देश स्वीडन औपचारिक रूप से ट्रांस अटलांटिक सैन्य गठबंधन के 32वें सदस्य के रूप में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल हो गया। स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन और अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक समारोह की अध्यक्षता की। इस दौरान गठबंधन में स्वीडन के शामिल होने के दस्तावेज को आधिकारिक तौर पर विदेश विभाग में जमा कर दिया गया। इस मौके पर व्हाइट हाउस की ओर से बयान जारी कर इसे ऐतिहासिक बताया गया है। इसके साथ ही व्हाइट हाउस ने नाटो को दुनिया के इतिहास में सबसे शक्तिशाली रक्षात्मक गठबंधन बताया।
एंटनी ब्लिंकन ने की घोषणा
इस मौके पर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि “यह स्वीडन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह गठबंधन के लिए ऐतिहासिक है। यह ट्रांस अटलांटिक संबंधों के लिये इतिहास है। हमारा नाटो गठबंधन अब पहले से कहीं अधिक मजबूत और बड़ा हो गया है।" इसके साथ ही व्हाइट हाउस ने कहा कि स्वीडन को नाटो सहयोगी के रूप में रखने से अमेरिका और हमारे सहयोगी और भी सुरक्षित हो जाएंगे। व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि "नाटो दुनिया के इतिहास में सबसे शक्तिशाली रक्षात्मक गठबंधन है, और यह आज भी हमारे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना 75 साल पहले था जब हमारे गठबंधन की स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के दौर में हुई थी।"
क्या है नाटो
बता दें कि सोवियत संघ के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी यूरोपीय देशों ने एक साथ मिलकर नाटो की स्थानपना की थी। नाटो की स्थापना अप्रैल 1949 की गई, जिसे उत्तरी अटलांटिक संधि (वाशिंगटन संधि) भी कहा जाता है। यह एक सैन्य गठबंधन है। इसका उद्देश्य युद्ध के दौरान मित्र देशों की सहायता करना होता है। वहीं इस रक्षा संगठन में अब स्वीडन भी शामिल हो गया है। स्वीडन, नाटो में शामिल होने वाला 32वां सदस्य बना है।
(इनपुट- भाषा)
यह भी पढ़ें-
सऊदी अरब ने 5 पाकिस्तानियों को फांसी पर चढ़ाया, शाही आदेश के बाद मक्का में दी गई सजा