Solar Plant in Space: वर्ष 2050 तक ग्रीन हाउस गैसों के एमिशन को शून्य पर लाने का लक्ष्य हासिल करने के लिए ब्रिटेन ने अनोखी तरकीब निकाली है। वह अंतरिक्ष में सोलर पावर स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। एयरबस, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी समेत 50 ब्रिटिश तकनीकी संगठनों ने सरकार की इस पहल से हाथ मिलाया है।ब्रिटेन ने पिछले साल इस दिशा में विकल्प तलाशने की पहल शुरू की थी। इसका उद्देश्य मौजूदा टेक्नोलॉजी की तुलना में न्यूनतम लागत में जीरो ग्रीनहाउस गैस एमिशन के टारगेट को हासिल करना है। इस पहल के चेयरमैन मार्टिन सोल्टौ के मुताबिक, अंतरिक्ष में सोलर पॉवर स्टेशन विकसित करने के लिए आवश्यक सभी तकनीकें पहले से मौजूद हैं।
प्लांट का काम रोबोट करेंगे, 2035 तक स्पेस से बिजली लाने का लक्ष्य
इस प्लांट को बनाने का पूरा काम रोबोट करेंगे। ब्रिटेन का लक्ष्य 2035 की शुरुआत में धरती पर बिजली पहुंचाना होगा। यह पावर प्लांट कई मील लंबा हो सकता है। इसे अंतरिक्ष की कक्षा तक पहुंचाने के लिए स्पेसएक्स के स्टारशिप के आकार के 300 रॉकेट की जरूरत होगी। एक बार बनने के बाद यह सूर्य के साथ-साथ पृथ्वी का लगातार 36,000 किलोमीटर का चक्कर लगाएगा। यह प्लांट धरती पर काम करने वाले सोलर पावर प्लांट की तरह ही सोलर एनर्जी इकट्ठा करेगा।
हर मौसम में काम करेगा प्लांट
धरती पर इसी आकार के सोलर पावर प्लांट के मुकाबले यह 13 गुना अधिक बिजली बनाएगा। बड़ी बात यह है कि इस तरह के पावर प्लांट को किसी भी तरह की समय या मौसम संबंधी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि अंतरिक्ष में उस पर सूरज हमेशा चमकता रहेगा। धरती पर नवकरणीय उर्जा से जुड़े प्लांट अक्सर इस समस्या का सामना करते हैं, क्योंकि सूर्य हमेशा चमकता नहीं है और हवा हर समय लगातार नहीं चलती है।
यही नहीं, ऐसे पावर प्लांट को ऊर्जा की हानि से बचने के लिए बैटरी स्टोरेज पर निर्भर रहना पड़ता है। मौजूदा समय में ब्रिटेन अपनी बिजली जरूरत का 40% से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी से हासिल करता है, लेकिन अगले तीन दशक में रिन्यूएबल एनर्जी की मांग तीन गुना होने की उम्मीद है।
माइक्रोवेव रेडिएशन को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदलेंगे एंटीना
अंतरिक्ष से सोलर ऊर्जा को धरती पर लाने के लिए धरती पर एक विशाल एंटीना लगाना होगा, जिसे रेक्टेना कहा जाता है। यह रेक्टेना विशाल खुली जाली की तरह होगा, जिसमें कई छोटे एंटीना लगे होंगे। ये एंटीना अंतरिक्ष से भेजी गई माइक्रोवेव रेडिएशन अवशोषित करेंगे और इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तित करेंगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस रेडिएशन से लोगों को कोई खतरा नहीं होगा।