Putin on Brics Summit in Russia: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ऐलान किया है कि अगले साल वह ब्रिक्स देशों की अध्यक्षता करेगा। पुतिन ने एक बार फिर पश्चिमी देशों के खिलाफ हमलावर रुख अपनाया। उन्होंने वैश्विक व्यवस्था के लिए पश्चिमी देशों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अगले साल रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स सम्मेलन आयोजित होगा, जो निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था स्थापित करने के लिए समर्पित होगा।
नियम आधारित विश्व व्यवस्था वास्तव में अस्तित्व में नहीं
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन रूस के कजान शहर में आयोजित होगा। इस दौरान हम वर्तमान स्थिति को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। नियम आधारित विश्व व्यव्सथा वास्तव में अस्तित्व में नहीं है। यह राजनीतिक एजेंडे, हितों और प्रोपोगैंडा के अनुसार हर दिन बदलती रहती है। हम अपने शिखर सम्मेलन में साफ करेंगे कि इसी विश्व में अन्य शक्तिशाली देश हैं, जो नियमों के अनुसार नहीं चलना चाहते। अन्य शक्तिशाली देश मौलिक नीतियों के आधार पर बढ़ना चाहते हैं।
जानिए क्या होता है ब्रिक्स
ब्रिक्स, जो ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संक्षिप्त रूप है, एक अनौपचारिक साझेदारी है जो सदस्य देशों के बीच सहयोग और संचार को बढ़ावा देती है। ब्रिक्स देशों के बीच कोई औपचारिक या कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता नहीं है। ब्रिक्स शब्द जिम ओ'नील द्वारा बनाया गया था, जिन्होंने उस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था के भीतर इन देशों की क्षमता पर जोर देने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया था।
ब्रिक्स हो या जी20, पुतिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही लेते हैं सम्मेलनों में हिस्सा
इससे पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन ब्रिक्स समेलनों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही हिस्सा लेते रहे हैं। रूस और यूक्रेन की जंग के बाद से ऐसा हुआ है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आयोजित हुआ था। तब पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिये सम्मेलन में शामिल होने का फैसला किया था। दरअसल रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और क्रूरता का दोषी करार दिया है। उसने पुतिन के खिलाफ वारंट भी जारी कर रखा है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करने वाला दक्षिण अफ्रीका अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का भी सदस्य रहा है। ऐसे में दक्षिण अफ्रीका पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की ओर से सम्मेलन में शामिल होने आने वाले पुतिन की गिरफ्तारी करने का दबाव बढ़ रहा था। इसलिए उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही हिस्सा लेना जरूरी समझा। वहीं भारत में भी आयोजित जी20 सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन भारत नहीं आए थे। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था।