रूस और यूक्रेन में जारी युद्ध को 11 महीने होने वाले हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच सुलह के दूर-दूर तक आसार नहीं दिख रहे हैं। इस बीच, रूस ने यूक्रेन के शहरों पर मिसाइल हमले तेज कर दिए हैं। यूक्रेन की मदद को आगे आए ब्रिटेन के ऐलान के बीच रूसी मिसाइलों के हमले में यूक्रेनी नागरिकों की मौत की खबरें आईं। रूस के ताज मिसाइल हमले में यूक्रेन के दक्षिण-पूर्वी शहर नीप्रो में तबाही मची है। इस हमले में एक अपार्टमेंट के एक हिस्से को तबाह कर दिया गया, जिसमें करीब 12 लोग मारे गए और 64 अन्य घायल हो गए।
मरने वालों में एक 15 साल की युवती भी है, जबकि घायलों में सबसे छोटा तीन साल का बच्चा है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा, "यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि कितने लोग मलबे के नीचे हैं। दुर्भाग्य से मरने वालों की संख्या हर घंटे बढ़ रही है।" वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति के सहयोगी माईखायलो पोडोलियाक ने रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से निष्कासित करने का आह्वान किया। हमले के बाद कई इलाकों में ब्लैकआउट हो गया।
यूक्रेन के ऊर्जा मंत्री जर्मन गालुशचेंको ने कहा कि रूस के मिसाइल हमले की वजह से शनिवार को ज्यादातर यूक्रेनी क्षेत्रों में इमरजेंसी ब्लैकआउट लागू किया गया। गालुशचेंको ने कहा, "आज दुश्मन ने देश की उर्जा उत्पादन सुविधाओं और पावर ग्रिड पर फिर से हमला किया। खार्किव, ल्वीव, इवानो-फ्रैंकिव्स्क, जापोरिज्जिया, विन्नित्सिया और कीव क्षेत्रों में हमले हुए हैं। ऊर्जा मंत्री ने कहा, "गोलाबारी की वजह से ज्यादातर क्षेत्रों में इमरजेंसी ब्लैकआउट कर दिया गया है।"
ब्रिटेन भेज रहा पहला भारी टैंक
गौरतलब है कि ब्रिटेशन पहला पश्चिम देश बन गया है, जिसने यूक्रेन को भारी टैंकों की पेशकश की है, जिसकी वह लंबे वक्त से मांग कर रहा था। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने यूक्रेन को चैलेंजर 2 टैंक और आर्टिलरी सिस्टम प्रदान करने का ऐलान किया है। रूस की ओर से कई यूक्रेनी शहरों को मिसाइल हमले में निशाना बनाने के बीच सुनक ने ये ऐलान किया।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के कार्यालय डाउनिंग स्ट्रीट ने एक बयान में कहा कि सुनक ने शनिवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात करने के बाद यह प्रतिबद्धता जाहिर की। ब्रिटिश मीडिया ने बताया है कि 4 ब्रिटिश आर्मी चैलेंजर 2टैंक तुरंत पूर्वी यूरोप भेजे जाएंगे, जबकि 8 इसके बाद भेजे जाएंगे। वहीं, रूस ने हमले कर चेतावनी दे दी है कि ब्रिटेश का यह कदम केवल संघर्ष को तेज करेगा।