Russia on jaishankar: रूस और भारत पारंपरिक मित्र हैं। रूस ने कई मौकों पर भारत की प्रशंसा की है। रूस और यूक्रेन की जंग के दौरान पुतिन ने भारत को अपना पारंपरिक दोस्त बताया था और पीएम मोदी की तारीफ की थी। वहीं एक बार फिर विश्व युवा मंच में रूस ने भारती की प्रशंसा की है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जयशंकर की तारीफ करते हुए कहा कि कि किस तरह उनके दोस्त जयशंकर ने पश्चिमी देशों की अपने तर्कों से बोलती बंद कर दी थी।'
रूस के सोच्ची शहर में आयोजित विश्व युवा मंच को संबोधित करने के दौरान सर्गेई लावरोव ने एस जयशंकर की तारीफ करते हुए उनके पिछले बयान को याद किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि किस तरह से एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों की बोलती बंद कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिल्ली और मास्को के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाया है।
जानिए क्या कहा रूसी विदेश मंत्री ने?
एक वाकये को याद करते हुए रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि 'रूस-यूक्रेन जंग के दौरान यूएन में कुछ पश्चिमी देशों के जानकारों ने जयशंकर से पूछा था कि भारत क्यों रूस से ज्यादा मात्रा में तेल खरीद रहा है? इस पर जयशंकर ने जवाब देते हुए कहा था कि 'आप अपने काम से काम रखें, दिल्ली हमेशा मास्को का दोस्त रहा है।'
रूस पर लगे प्रतिबंध, तो सस्ते दामों पर भारत ने खरीदा था कच्चा तेल
वहीं मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि रूस और यूक्रेन में जंग शुरू होने के बाद जब रूस पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाए, तब भारत और चीन जैसे देशों ने बड़ी मात्रा में रूस से तेल खरीदा। भारत ने रूसी तेल सस्ते दामों पर खरीदा। इससे रूस को भी फायदा हुआ और भारत को भी, क्योंकि आर्थिक प्रतिबंधों में कच्चा तेल लेने पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल था। इसके बावजूद भारत ने अपनी जरूरतों का हवाला देते हुए रूस से सस्ते दामों में तेल खरीदा था। यही कारण था कि जनवरी 2022 में आयात शून्य से बढ़कर जनवरी 2023 तक 12.7 लाख बैरल प्रति दिन हो गया था।
रूस से तेल का आयात 2023 में हुआ दोगुना
साल 2023 के दौरान रूस से भारत का तेल आयात दोगुना से अधिक बढ़कर 17.9 लाख बैरल प्रति दिन हो गया था। इस तरह से भारत को कच्चा तेल देने के मामले में रूस प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया। इससे पहले इराक भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था।
जयशंकर ने रूस को कहा था 'पक्का मित्र'
पिछले महीने जर्मनी में एक साक्षात्कार के दौरान जयशंकर ने कहा था कि यूक्रेन में मॉस्को की सैन्य आक्रामकता के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने आर्थिक संबंधों का विस्तार किया है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने कभी भी भारत के हितों का उल्लंघन नहीं किया और द्विपक्षीय संबंध 'स्थिर और मैत्रीपूर्ण' बने हुए हैं। इससे पहले भी भारत ने जब रूस के खिलाफ यूएन में विरोध प्रस्ताव आए, तो रूस के खिलाफ वोट नहीं किया, बल्कि वोटिंग से दूरी बनाए रखी और रूस से अपनी मित्रता जताई।