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Ukraine War: यूक्रेन में और भड़केगी जंग की आग! रूस करेगा 3 लाख अतिरिक्त जवानों की तैनाती, पुतिन बोले- खतरा पैदा किया तो देंगे जबाव

Russia Ukraine War: रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर पहला हमला किया था। जिसके बाद से जंग हर दिन और आक्रामक रूप लेती जा रही है। लड़ाई के लिए कई बार हथियार भी कम पड़े हैं, लेकिन हमलों की रफ्तार बढ़ रही है। अब इन अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती आंशिक रूप से की जा रही है।

Written By: Shilpa
Published : Sep 21, 2022 13:11 IST, Updated : Sep 21, 2022 14:13 IST
Russian President Vladimir Putin
Image Source : INDIA TV Russian President Vladimir Putin

Highlights

  • पुतिन ने सैनिकों की तैनाती पर लिया फैसला
  • रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू ने किया ऐलान
  • तीन लाख अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जाएगी

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जंग थमने के बजाय और भड़कती जा रही है। व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ करीब सात माह से जारी युद्ध के बीच अपने देश में जवानों की आंशिक तैनाती की घोषणा की और पश्चिम को चेतावनी देते हुए कहा कि रूस अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा और ‘यह कोई लफ्फाजी’ नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि 300,000 जवानों की आंशिक तैनाती की योजना बनाई गई है। रूसी राष्ट्रपति ने टेलीविजन के जरिए देश को संबोधित किया। उनके इस संबोधन के ठीक एक दिन पहले घोषणा की गई थी कि मॉस्को अपने कब्जे वाले पूर्वी और दक्षिणी यू्क्रेन के हिस्से को रूस में मिलाने के लिए जनमत संग्रह कराने की योजना बना रहा है।

पुतिन ने पश्चिमी देशों पर ‘परमाणु ब्लैकमेलिंग’ करने का आरोप लगाया, साथ ही ‘रूस के खिलाफ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना संबंधी नाटो देशों के शीर्ष प्रतिनिधियों के बयानों’ का भी जिक्र किया। रूस के रक्षा मंत्री ने कहा कि 300,000 अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जाएगी। वहीं पुतिन की तरफ से कहा गया है कि अगर रूस की क्षेत्रीय अखंडता को खतरा पैदा किया गया तो मॉस्को जबावी प्रतिक्रिया स्वरूप हर संभव कदम उठाएगा। दोनों देशों के बीच जारी इस युद्ध को शुरू हुए 7 महीने का वक्त पूरा होने वाला है। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर पहला हमला किया था। जिसके बाद से जंग हर दिन और आक्रामक रूप लेती जा रही है।  

यूक्रेन में संघर्ष को और बढ़ा सकता है फैसला

रूस के रक्षा मंत्री ने कहा कि आंशिक लामबंदी में 300,000 रिजर्व जवान बुलाए जाएंगे और सैन्य अनुभव वाले लोग भी इसमें शामिल होंगे। पुतिन का आंशिक लामबंदी का ये फैसला यूक्रेन में संघर्ष को और बढ़ा सकता है। दरअसल पश्चिमी देशों के हथियारों की बदौलत युद्ध में अब तक टिकी हुई यूक्रेन की सेना ने रूस पर जवाबी हमले किए हैं। जिसके चलते कब्जे वाले कई क्षेत्रों से रूसी सेना को पीछे हटना पड़ा है। ब्रिटिश विदेश कार्यालय मंत्री गिलियन कीगन ने स्काई न्यूज को बताया कि पुतिन का भाषण चिंताजनक है और इसमें उन्होंने जो धमकियां दीं, उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। 

उन्होंने कहा, 'स्पष्ट रूप से यह कुछ ऐसा है, जिसे हमें बहुत गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि आप जानते हैं कि हम नियंत्रण में नहीं हैं। मुझे यकीन नहीं है कि वह भी नियंत्रण में है। यह स्पष्ट रूप से जंग को भड़काने जैसा है।' पुतिन के भाषण के बाद रूस का रूबल गिर गया और वैश्विक तेल की कीमतों में उछाल आया है। जबकि युद्ध ने पहले ही दुनिया भर में ईंधन और खाद्य कीमतों में तेजी ला दी है।

यूक्रेन के चार इलाकों में जनमत संग्रह

रूस नियंत्रित यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों ने मंगलवार को रूस का अभिन्न हिस्सा बनने के लिए जनमत संग्रह कराने की घोषणा की है। यूक्रेन के अलगाववादी चार क्षेत्रों द्वारा क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय) के समर्थन से संगठित और त्वरित आधार पर रूस का हिस्सा बनने की यह कोशिश, मॉस्को को यूक्रेन के साथ युद्ध तेज करने का आधार देगी। वह भी तब जब यूक्रेन की सेना को अपने इलाकों पर कब्जा करने में सफलता मिल रही है। दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और आंशिक रूप से रूस के कब्जे में मौजूद जापोरिज्ज्यिया क्षेत्र ने शुक्रवार से जनमत संग्रह कराने की घोषणा की है। यह घोषणा उनके करीबी सहयोगी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा इसकी जरूरत बताए जाने के बाद की गई है। वहीं युद्ध शुरू होने के सात महीने के बाद रूस आधार खोता नजर आ रहा है।

रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवदेव ने भी कहा कि पूर्वी यूक्रेन क्षेत्रों का रूस में विलय और उनकी सीमा को पुन: परिभाषित करना ‘अटल’ है और इससे रूस उनकी रक्षा करने के लिए ‘कोई भी कदम’ उठाने में सक्षम होगा। यूक्रेन के विदेश मंत्री दमित्रो कुलेबा ने जनमत संग्रह को शर्मनाक करार देते हुए ट्वीट किया, ‘यूक्रेन को अपने क्षेत्रों को मुक्त कराने का पूरा अधिकार है और भले रूस कुछ भी कहे उन्हें मुक्त कराना जारी रखेंगे।’ यह लगभग तय माना जा रहा है कि इस तरह का जनमत संग्रह मॉस्को के पक्ष में जाएगा, लेकिन यूक्रेन की सेना का समर्थन कर रही पश्चिमी सरकारें इसे मान्यता नहीं देंगी। यह जनमत संग्रह रूस को ऐसे समय लड़ाई तेज करने का मौका देगा, जब यूक्रेन की सेना बढ़त बना रही है।

गौरतलब है कि लुहांस्क और दोनेत्स्क संयुक्त रूप से डोनबास इलाके का बड़ा हिस्सा है, जहां पर वर्ष 2014 से ही अलगावादियों का कब्जा है और पुतिन ने रूसी हमले के लिए इसे प्राथमिक आधार बनाया था। दोनेत्स्क के अलगावादी नेता डेनिस पुशीलिन ने कहा, ‘लंबे समय से पीड़ा सह रही डोनबास की जनता ने उस महान देश का हिस्सा बनने का अधिकार प्राप्त किया है, जिसे वह हमेशा से अपनी मातृभूमि मानती है।’ उन्होंने कहा कि जनमत संग्रह से ‘लाखों रूसी लोगों को ऐतिहासिक न्याय मिलेगा, जिसका वे इंतजार कर रहे थे।’ आंशिक रूप से रूस के कब्जे वाले जापोरिज्ज्यिया के रूस समर्थक कार्यकर्ता व्लादिमीर रोगोव ने कहा, ‘जितनी जल्दी हम रूस का हिस्सा बनेंगे, उतनी जल्दी शांति आएगी।’

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