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Russia Ukraine War: फिनलैंड व स्वीडन NATO में शामिल हुए तो रूस परमाणु हमला करेगा?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक मेदेवदेव ने स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने की संभावना का जिक्र करते हुए कहा कि अब बाल्टिक की किसी भी गैर-परमाणु स्थिति के बारे में बात करना संभव नहीं होगा, संतुलन बहाल किया जाना चाहिए।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 15, 2022 14:14 IST
Russia Nuclear Weapons, Russia Ukraine War- India TV Hindi
Image Source : AP FILE PHOTO Russia Nuclear Weapons 

Highlights

  • यूक्रेन के बाद है फिनलैंड और स्‍वीडन रूस के निशाने पर?
  • नाटो की सदस्‍यता के मुद्दे पर रूस ने दी सीधी धमकी
  • जून मे होना है नाटो का सम्‍मेलन

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन में जंग जारी है और आज युद्ध का 51वां दिन है। रूस ने स्वीडन और फिनलैंड को नाटो (NATO) में शामिल होने को लेकर चेतावनी दी है। रूस ने गुरुवार को स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल होने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर फिनलैंड और स्वीडन नाटो में शामिल होते हैं तो हम बाल्टिक में अपना डिफेंस मजबूत करने के लिए मजबूर होंगे, इनमें परमाणु हथियारों की तैनाती भी शामिल है। रूस ने ये भी कहा कि वह रूस के पश्चिमी हिस्से में अपने सैनिकों की संख्या दोगुने से अधिक बढ़ा देगा। आपको बता दें कि इसी वर्ष जून में नाटो का एक सम्‍मेलन मैड्रिड में होना है। 

क्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर पड़ोसी यूरोपीय देश डरे हुए हैं

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक ने धमकाते हुए कहा है कि अगर स्वीडन और फिनलैंड नाटो का सदस्य (NATO Countries) बनते हैं तो रूस यूरोप के दिल कहे जाने वाले इलाके में परमाणु (Russia Nuclear MIssile) और हाइपरसोनिक मिसाइल (Russia Hypersonic Missile) को तैनात करेगा। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर पड़ोसी यूरोपीय देश डरे हुए हैं। यही कारण है कि अमेरिका के करीबी समझे जाने वाले स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने को लेकर उत्साहित हैं। यूक्रेन संकट से पहले शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ का मुकाबला करने के लिए 1949 में स्थापित 30-सदस्यीय नाटो गठबंधन (Nato Founders) में शामिल होने से स्वीडन और फिनलैंड कतराते रहे हैं।

रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने दी चेतावनी 

न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से सीएनएन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने ये चेतावनी दी। गुरुवार को टेलीग्राम पर एक बयान में लिखा कि जमीनी और वायु रक्षा बलों को मजबूत किया जाएगा। मेदेवदेव ने स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने की संभावना का जिक्र करते हुए कहा कि अब बाल्टिक की किसी भी गैर-परमाणु स्थिति के बारे में बात करना संभव नहीं होगा, संतुलन बहाल किया जाना चाहिए। बता दें कि, मेदवेदेव जिन्होंने 2008 से 2012 तक रूसी राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया है। हाल के महीनों में वो काफी आक्रामक दिख रहे हैं, हालांकि वो शीर्ष निर्णय लेने वाले नहीं हैं। 2018 फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला था कि रूस ने कलिनिनग्राद में एक परमाणु हथियार भंडारण बंकर का आधुनिकीकरण किया हो सकता है। 

फिनलैंड की पीएम बोलीं- हफ्तों में करेंगे फैसला

फिनलैंड रूस के साथ 1,300 किलोमीटर (810 मील) की सीमा साझा करता है। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन ने बुधवार को कहा कि उनका देश नाटो में शामिल होने को लेकर अगले कुछ हफ्तों में फैसला करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें रूस की ओर से हर तरह की कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा। नाटो में शामिल होने के विकल्प का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाना चाहिए, लेकिन जब फरवरी के अंत में रूसी सेना ने यूक्रेन पर आक्रमण किया तो सब कुछ बदल गया था। उन्होंने कहा कि जब हम अपने फैसले लेंगे तो मैं किसी भी तरह का टाइम टेबल नहीं दूंगी, लेकिन मुझे लगता है कि यह काफी तेजी से होगा।

रूस की चेतावनी- बाल्टिक सागर में सेना करेंगे मजबूत

रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि अगर स्वीडन और फिनलैंड नाटो में शामिल होते हैं तो रूस को बाल्टिक सागर में अपनी थल सेना और वायु सेना को मजबूत करना होगा। मेदवेदेव ने स्पष्ट रूप से परमाणु खतरे को उठाते हुए कहा कि परमाणु मुक्त बाल्टिक पर अब कोई और बात नहीं हो सकती है। दरअसल, बाल्टिक सागर के किनारे पोलैंड और लिथुआनिया के बीच एक छोटे से हिस्से कलिनिनग्राद पर रूस ने बड़ा मिलिट्री बेस बना रखा है। दावा किया जाता है कि रूस ने इस सैन्य अड्डे पर परमाणु हथियारों को तैनात कर रखा है।

गौरतलब है कि, रूस ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के फैसले के खिलाफ ही हमला शुरू किया था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नहीं चाहते थे कि यूक्रेन नाटो का मेंबर बने और वो अमेरिका और नाटो से इस बात की गारंटी की मांग कर रहे थे। रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला बोल दिया था जिसके बाद से अब तक लगातार युद्ध जारी है।

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