Highlights
- युद्ध के परिणाम दशकों तक अपना असर डालते रहेंगे
- यह जंग एक बड़े नुकसान की वजह बनेगी
- अल्पकालिक लाभ की गणना में जुटे हैं कई देश
Russia Ukraine War News: रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच तुर्की ने कहा है कि जिस तरह से यह युद्ध लंबा खिंच रहा है उससे ऐसा लग रहा है कि हम कोल्ड वार (शीत युद्ध) के एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं और इसके परिणाम दशकों तक अपना असर डालते रहेंगे। यह बयान तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने जारी किया है।
बड़े नुकसान की वजह बनेगी रूस-यूक्रेन जंग
बुधवार को तुर्की के राष्ट्रपति के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने कहा कि यूक्रेन संकट लगातार गहराता जा रहा है। शक्ति के एक नए संतुलन की खोज के बीच कई देश अल्पकालिक लाभ की गणना में जुटे हैं। इब्राहिम का मानना है कि मध्यम और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में यह रणनीतिक तौर पर एक बड़े नुकसान के साथ ही मानवीय उथल-पुथल की वजह भी बनेगी।
रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव दशकों तक रहेंगे
उन्होंने लिखा-'हमने शीत युद्ध के एक नए युग में प्रवेश किया है। इस युद्ध के प्रभाव दशकों तक रहेंगे।' इब्राहिम कालिन 2014 से तुर्की के राष्ट्रपति नेता रेसेप तैयप एर्दोगान के प्रेस सचिव हैं।
मास्को और कीव के बीच मध्यस्थता पर जोर
24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से तुर्की ने लगातार शांति वार्ता का आग्रह किया। साथ ही उसने रूस को अलग-थलग करने की पश्चिमी देशों की कोशिशों को भी विरोध किया और ऐसा न करने की चेतावनी दी। तुर्की ने मास्को और कीव के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने पर भी जोर दे रहा है। अमेरिका की अगुवाई वाले समूह की इच्छा के विपरीत जाते हुए तुर्की ने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों को लगाने से इनकार कर दिया और दोनों पक्षों के साथ अपने राजनयिक चैनल खुले रखे हैं।
रूस को अलग-थलग करने की कोशिश में अमेरिका
पिछले कुछ हफ्तों में रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव नाटकीय रूप से बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में नए कोल्ड वार के खतरे की चिंता जताई गई है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं। रूस पर तमाम तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को कहा कि कोई भी देश अब अपना पूर्ण प्रभुत्व बनाए नहीं रख सकता है, क्योंकि दुनिया 'इससे कहीं अधिक जटिल हो गई है। यह शीत युद्ध के दौरान हुआ करता था। उधर, चीन भी लगातार विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस का समर्थन कर रहा है और समय-समय पर अमेरिका को आंखें दिखा रहा है।
नए कोल्ड वार में भारत की भूमिका
जहां तक नए कोल्ड वार के हालात में भारत की भूमिका का सवाल है तो भारत की विदेश नीति स्वतंत्र और गुट निरपेक्षता की रही है। हालांकि रूस भारत का पुराना और परखा हुआ दोस्त रहा है। लेकिन भारत ने युद्ध के बजाय हमेशा से शांति का समर्थन किया है। रूस और यूक्रेन से भी भारत हमेशा बातचीत और राजनयिक चैनलों के जरिए समस्या के समाधान की अपील करता रहा है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं पहल करते हुए रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात की। उन्होंने दोनों नेताओं से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समस्या का समाधान निकालने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र संघ में रूस के खिलाफ जितने भी प्रस्ताव आए उसपर भारत तटस्थ रहा। इसलिए जानकारों का मानना है कि आनेवाले समय में भी भारत का कदम वही होगा जो विश्वशांति की स्थापना में मददगार हो।