Russia Ukraine War News: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के 50 दिन पूरे होने के बाद भी यह जंग खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक अदने से देश यूक्रेन को रूस जैसा बलशाली देश भी अभी तक परास्त नहीं कर सका है। दरअसल, इसके पीछे अमेरिका है, जिसने पिछले 50 दिनों में 13 हजार करोड़ के हथियार यूक्रेन को भेजे हैं। यही कारण है कि यूक्रेन परास्त न हो सका।
रूस के हाथ से से यह जंग ऐसे ही नहीं निकलती जा रही है, बल्कि इसके पीछे अमेरिका के हाथ होने की बात सामने आ रही है। भले ही यूक्रेन को अब तक NATO में शामिल करने में अमेरिका नाकाम रहा हो पर वह रूस के खिलाफ यूक्रेन की लगातार मदद कर रहा है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने भी दावा किया है कि US सेना अपने इतिहास में अधिकृत तौर पर सबसे बड़ा हथियार सप्लाई अभियान यूक्रेन में चला रही है।
यूक्रेन में रूसी सेना के नाकाम होने के पीछे की वजह
यूक्रेन के खिलाफ जैसे-जैसे जंग लंबी होती जा रही है, रूसी सेना की क्षमता और रणनीति दोनों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जंग में रूसी सेना के नाकाम होने की ये मुख्य वजह बताई जा रही हैं।
1. आसमानी जंग में वर्चस्व नहीं मिलना
रूसी वायुसेना के अपर्याप्त इस्तेमाल ने यूक्रेन एयर फोर्स और एयर डिफेंस को तुर्की में बने TB-2 जैसे ड्रोन की मदद से जोरदार जवाबी कार्रवाई का मौका दिया। इससे यूक्रेन ने कई रूसी मिसाइल लॉन्चर और टैंकों को मार गिराया।
2. रूस की योजना और सेना की ट्रेनिंग में कमी
यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के एक महीने के अंदर रूस के 7000 से अधिक सैनिक मारे गए। ये संख्या इराक और अफगानिस्तान के साथ चलने वाली 2 दशक की लड़ाई में मारे गए कुल अमेरिकी सैनिकों की संख्या से भी ज्यादा है।
3. अमेरिका, पश्चिमी देशों की मदद
अमेरिका, NATO और यूरोपीय देश भले ही लड़ाई में सीधे यूक्रेन की मदद न कर रहे हों लेकिन हथियारों और आर्थिक सहायता से पर्दे के पीछे से यूक्रेन की मदद कर रहे हैं।
4. यूक्रेन के लोगों का मनोबल सेना और राष्ट्रपति की रणनीति
रूसी हमले के बाद से ही यूक्रेन में सैनिकों के साथ ही आम लोग भी रूस का हरसंभव विरोध कर रहे हैं। हजारों की संख्या में यूक्रेन के नागरिकों ने लड़ाई के लिए हथियार तक उठा लिए हैं। नेशनल गार्ड ऑफ यूक्रेन के मुताबिक, रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से यूक्रेन सेना की वॉलंटियर ब्रांच से करीब 1 लाख से ज्यादा यूक्रेनी नागरिक जुड़े हैं।
अमेरिकी मदद से कैसे रूस के खिलाफ टिका है यूक्रेन
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के मकसद को पूरा होने से रोकने के लिए यूक्रेन में अमेरिकी राजदूत क्रिस्टीना क्विन ने मोर्चा संभाल लिया है। 24 फरवरी के बाद से ही लगातार अमेरिकी सेना के हथियारों से लदे ट्रक पूर्वी पोलैंड से होते हुए यूक्रेन पहुंच रहे हैं। इस जंग में रूस के आगे यूक्रेन की सेना मजबूती से टिकी रहे इसके लिए अमेरिका यूक्रेन में रूस को रोकने के लिए अमेरिका पाबंदियों को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। इन पाबंदियों की वजह से 7 मार्च 2022 को रूसी करेंसी में ऐतिहासिक गिरावट आई थी। इस दिन एक अमेरिकी डॉलर 139 रूसी करेंसी के बराबर हो गया था। हालांकि, अब डॉलर की तुलना में रूबल की कीमत में सुधार हुआ है।
अमेरिका ने अब तक इस जंग में यूक्रेन को किस तरह से मदद की है?
अमेरिकी रक्षा विभाग ने भी यह खुलासा किया है कि अधिकृत तौर पर US यूक्रेन में सबसे बड़ा हथियार सप्लाई अभियान चला रहा है। 24 फरवरी को दोनों देशों के बीच जंग शुरू होने से लेकर 12 अप्रैल तक अमेरिका ने यूक्रेन को 12.9 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की है। 13 अप्रैल को एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति ने 6.08 हजार करोड़ रुपए का आर्थिक मदद यूक्रेन को देने का ऐलान किया है।
इसके अलावा, अमेरिका ने महज 50 दिनों में यूक्रेन को 1400 स्टिंगर एंटी एयरक्राफ्ट, 4600 जैवलिन, 1000 लाइट एंटी आर्मर, 100 ग्रेनेड लांचर समेत कई घातक हथियार दिए हैं। यही नहीं हजारों की संख्या में अमेरिका और यूरोप के ट्रेनिंग लिए हुए स्वयंसेवक लड़ाके रूस के खिलाफ जंग लड़ने के लिए यूक्रेन पहुंच रहे हैं। अमेरिका जंग में रूस को हराने के लिए कितना गंभीर है, इसे पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी के एक बयान से समझा जा सकता है।
किर्बी ने अपने बयान में कहा, ‘24 फरवरी को जंग शुरू होने के दो दिन बाद 26 फरवरी को अमेरिका ने यूक्रेन के लिए 2.65 हजार करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया था। लेकिन, यूक्रेन तक इस पैकेज का लाभ पहुंचाने में तीन सप्ताह का समय लगा था। वहीं, अब 16 मार्च को अमेरिका ने 6.07 हजार करोड़ के पैकेज का ऐलान किया। महज 4 दिन में इस पैकेज का लाभ यूक्रेन तक पहुंचाया गया।’ किर्बी ने दावा किया कि अब अमेरिका 48 घंटे के अंदर यूक्रेन को हर तरह से मदद पहुंचाने में सक्षम है।
इस जंग को लेकर यूरोपीय देश और अमेरिका की योजना क्या है?
रूसी सेना के लगातर कम हो रहे मनोबल को देखते हुए राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने जंग को अंजाम तक पहुंचाने के लिए नए सेना अधिकारी अलेक्जेंडर दवोनिकोव की नियुक्ति की। इस नियुक्ति के बाद से ही अमेरिका के व्हाइट हाउस में तहलका मचा हुआ है। इसकी वजह यह है कि सीरिया में दवोनिकोव के नेतृत्व में रूसी सेना ने खतरनाक तबाही मचाई थी।
इसके अलावा रूसी सेना ने जिस तरह बूचा में लोगों को मारा है, उसे देखते हुए अब अमेरिका और यूरोपीय देश पहले से ज्यादा एग्रेसिव होकर यूक्रेन की मदद के लिए एकजुट हुए हैं। जंग में रूस को हराने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देश कुछ इस तरह से तैयारी कर रहे हैं।
सीएनएन ने अपने रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिका और यूरोपीय देश लगातार यूक्रेन को आर्थिक और सैन्य मदद पहुंचाते रहने को लेकर सहमत हुए हैं। कीव को ज्यादा से ज्यादा आधुनिक हथियार दिए जा रहे हैं, जिससे यूक्रेन की सेना पहले से ज्यादा संगठित होकर रूसी सेना को देश के पूर्वी हिस्से से भी पीछे वापस लौटने के लिए मजबूर कर सके।
युद्ध की रणनीति पर अमेरिका ओर यूरोपीय देशों की ये है प्लानिंग
इसके साथ ही अमेरिका और यूरोपीय देश इस बात की प्लानिंग कर रहे हैं कि रूस पर और ज्यादा सख्त पाबंदी लगाए जाएं, जिससे रूस बातचीत के टेबल पर बैठने लिए तैयार हो जाए। लंबे समय तक जंग चलती है तो इसमें यूक्रेन को बढ़त दिलाने को लेकर भी यूरोपीय देश नए सिरे से प्लानिंग कर रहे हैं। ताकि बातचीत हो भी तो यूक्रेन रूस के सामने मजबूती से पेश आए।
वहीं, अमेरिका की 82वीं एयरबोर्न डिवीजन के सैनिक पूर्वी पोलैंड में रूस को जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं। अमेरिकी मदद को यूक्रेन तक पहुंचने से रूस रोकना चाहता है तो उसे अमेरिका के इन खूंखार सैनिकों से निपटना होगा।